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#CRIME सिर पर लोहे की रॉड मार की थी हत्या, मिली जिंदगी भर जेल की सजा

हत्या के दोषी को आजीवन कारावास की सजा  

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government new rules 2018 for indian jails

श्रीगंगानगर.

तीन साल पहले पुरानी रंजिश को लेकर केसरीसिंहपुर थाना क्षेत्र गांव 2 डब्ल्यू गुरुसर में लोहे की रॉड से हत्या करने के जुर्म में एक आरोपित को दोषी मानते हुए अदालत ने आजीवन कारावास और पच्चीस हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया है। यह फैसला सोमवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या एक सुनील रणवाह ने सुनाया।

अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक श्रीकृष्ण कुक्कड़, वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम वर्मा व अधिवक्ता रामचन्द्र धारणियां ने की। अधिवक्ता धारणियां ने बताया कि गांव 2 डब्ल्यू गुरुसर निवासी सुरेन्द्रपाल सिंह ने 11 जुलाई 2015 को केसरीसिंहपुर थाने में इसी गांव के बलराज सिंह पुत्र नक्षत्र सिंह जटसिख के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें बताया कि उसका भाई गुरमीत सिंह और गुरमीत सिंह का लड़का निशान सिंह दोनों पिता-पुत्र 10 जुलाई 2015 की शाम करीब साढ़े छह बजे गांव में ही राजसिंह उर्फ राजू मिस्त्री की दुकान पर वैल्डिंग कराने गए थे।

वहां वैल्डिंग का काम करवा रहे थे कि बलराज सिंह एकाएक आया और वहां पड़ी लोहे की रॉड से गुरमीत सिंह के सिर पर छह-सात बार प्रहार कर दिए। लुहूलुहान होकर गिरे गुरमीत सिंह को गांव से केसरीसिंहपुर अस्पताल ले गए, वहां कुछ देर बाद घायल ने दम तोड़ दिया। इससे पहले घायल ने पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा अपने परिजनों को दे दिया। पुलिस ने आरोपित बलराज सिंह को गिरफ्तार कर अदालत में चालान पेश किया। अदालत में अभियोजन पक्ष ने इस मामले को विरल से विरलतम मानने के संबंध में दलीलें पेश की और मृत्यु दंड देने की मांग, इस दलील को अदालत ने नामंजूर कर दिया।

बीस हजार रुपए मृतक के परिजनों को देने के आदेश

अदालत ने आईपीसी की धारा 302 में आरोपित बलराज सिंह को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास व पच्चीस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना जमा होने की स्थिति में बीस हजार रुपए प्रतिकर के रूप में मृतक के परिजनों को देने के आदेश किए गए। 46 पृष्ठों के इस निर्णय में अभियोजन पक्ष की अेार से 11 गवाहों ने बयान दर्ज किए थे। जबकि 57 दस्तावेज पेश हुए थे। यह प्रकरण श्रीकरणपुर एडीजे कोर्ट में विचाराधीन था लेकिन बचाव पक्ष ने निर्णय कराने के लिए किसी अन्य जगह अंतरित करने का आग्रह जिला एवं सत्र न्यायाधीश से किया था। इस पर सैशन जज ने यह मामला यहां एडीजे संख्या एक में अंतरित कर दिया।