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सोलह वर्ष बाद भी शहीद के नाम पर स्टेडियम अधूरा

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captain Navpal singh  Sidhu

सोलह वर्ष बाद भी शहीद के नाम पर स्टेडियम अधूरा

श्रीगंगानगर.

युद्ध भूमि में सैनिक कभी अपने और अपनों के बारे में नहीं सोचते। उस समय उनकी सोच में होता देश और उसकी रक्षा तथा लक्ष्य होता है दुश्मन पर विजय। इसके लिए जान की बाजी लगानी पड़े तो सैनिक उससे भी पीछे नहीं हटता। करगिल विजय और उसके बाद भी जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के साथ चल रहे छद्म युद्ध में यही हो रहा है।


पाक प्रशिक्षित आतंककारियों से लोहा लेते हुए हमारे वीर सैनिक शहीद हो रहे हैं। देश की रक्षा में प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों के शौर्य की कहानियां बलिदान की अनूठी मिसाल हैं। कुछ एेसी ही कहानी है पदमपुर तहसील के गांव ४० आरबी के कैप्टन नवपाल सिंह सिद्धू की जिन्होंने ३० दिसम्बर २००२ को मात्र २५ साल की उम्र में जम्मू कश्मीर के सुरनकोट में तीन खुखार आतंकियों को मौत के घाट उतारने के बाद वीर गति पाई।


देश के लिए जब कोई सैनिक शहीद होता है तो देशभक्ति का ज्वार आ जाता है। पूरा देश शहीद सैनिक को नमन करते हुए परिवार के साथ खड़ा नजर आता है। कुछ एेसा ही जज्बा कैप्टन सिद्धू की शहादत के समय पदमपुर क्षेत्र में भी देखने को मिला।


राज्य सरकार ने पदमपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का नामकरण कैप्टन नवपाल सिंह सिद्धू राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कर शहीद को सम्मान दिया, वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री निहालचंद और पूर्व राज्य मंत्री गुरमीत सिंह कुन्नर ने शहीद सिद्धू के खेलों के प्रति जुड़ाव को देखते हुए इस विद्यालय के आगे बेकार पड़े खेल मैदान पर शहीद की स्मृति में स्टेडियम निर्माण की घोषणा कर श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन स्टेडियम का निर्माण आज तक पूरा नहीं हुआ।


घोषणा कर भूल गए
शहीद के पैतृक गांव ४० आरबी में शहीद स्मारक का लोकार्पण २००५ में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया तब स्टेडियम की बात ध्यान में लाए जाने पर उन्होंने सभी सुविधाओं से युक्त स्टेडियम निर्माण की घोषणा की।

उसके बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पदमपुर आई तब स्टेडियम में हुए कार्यक्रम में वह भी शहीद की स्मृति में स्टेडियम का निर्माण जल्द से जल्द करवाने की घोषणा कर गई। प्रदेश के दो मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बावजूद स्टेडियम का निर्माण अधूरा पड़ा है। सांसद और विधायक कोटे के अलावा शहीद के परिवार की ओर से दी गई राशि से स्टेडियम में अब तक जो निर्माण कार्य हुआ है, वह गुणवत्ता के अभाव में टूटने लगा है। स्टेडियम में दस लाख की लागत से बना स्टेज धराशायी हो चुका। हॉकी ग्राउंड की जाली भी जगह-जगह से टूट चुकी है। गुणवत्ताहीन कार्य की शिकायत करने पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से जांच के आश्वासन ही मिल रहे हैं।


मां को है इंतजार
शहीद की मां राजेन्द्रपाल कौर कई साल से कैंसर से जूझ रही है। वर्तमान में उनका इलाज चंडीगढ़ में चल रहा है। मां ने बेटे का खेलों के प्रति जुड़ाव देखा था सो जब उनके नाम से स्टेडियम निर्माण की घोषणा हुई थी तो सबसे ज्यादा खुशी मां को ही हुई। गंभीर बीमारी और उसकी पीड़ा से जूझ रही मां जीवन का सफर पूरा होने से पहले बेटे के नाम से बनने वाले स्टेडियम को अधूरा नहीं पूरा देखना चाहती है।


एेसा इनका कहना है
शहीद कैप्टन नवपाल सिंह सिद्धू के नाम से बन रहे स्टेडियम में कुछ काम हुआ है। लेकिन अभी बहुत सा काम अधूरा है। स्टेडियम में खेल के मैदान तक तैयार नहीं हुए। उन्हें तैयार करवाना चाहिए ताकि खिलाडि़यों को प्रशिक्षण का बेहतर मौका मिले।
कर्नल आज्ञापाल सिंह सिद्धू , शहीद नवपाल सिंह के पिता।


शहीद की स्मृति में बनने वाले स्टेडियम का निर्माण सोलह साल में पूरा नहीं होना शर्मनाक है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को केन्द्र और राज्य सरकार से एकमुश्त बजट जारी करवा कर स्टेडियम का अधूरा काम पूरा करवाना चाहिए। शहीद के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
घनश्याम हरवानी, सचिव अमर शहीद कैप्टन नवपाल सिंह सिद्धू मैमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट।