श्रीगंगानगर.राजकीय मेडिकल कॉलेज से संबद्ध राजमेस चिकित्सलक जिला चिकित्सालय में उपस्थिति व्यवस्था को लेकर पूरी तरह सवालों के घेरे में है। स्थिति यह है कि अस्पताल में कार्यरत 30 राजमेस चिकित्सकों में से एक भी चिकित्सक पिछले करीब छह माह से पीएमओ कार्यालय में उपस्थिति रजिस्टर में हाजिरी दर्ज नहीं कर रहा। इसके बावजूद अब तक किसी डॉक्टर्स के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई। न बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू है और न ही प्रशासन के पास वास्तविक मौजूदगी का कोई प्रमाणिक रिकॉर्ड,जिससे अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं।
मोबाइल अटेंडेंस पर टिके डॉक्टर
पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि अधिकांश राजमेस चिकित्सक केवल मोबाइल आधारित आधार फेस अटेंडेंस के जरिए औपचारिकता निभा रहे हैं। यह उपस्थिति अस्पताल स्तर पर सत्यापित नहीं होती, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि संबंधित चिकित्सक वास्तव में ड्यूटी पर मौजूद हैं या नहीं। आरोप है कि कुछ चिकित्सक अस्पताल परिसर से बाहर या मेडिकल कॉलेज के आसपास मोबाइल एप से हाजिरी दर्ज कराकर ड्यूटी से नदारद रहते हैं। विदित है कि पिछले दिनों निदेशक ने जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया तो इमरजेंसी मेडिसीन आसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.दिवाकर वर्मा सीट से गायब मिले थे। इस पर इनको नोटिस जारी किया गया,जबकि डॉक्टर्स ने बचाव के लिए चाय पीने गए हुए थे कारण बताया गया।
नियमों की अनदेखी, दोहरी व्यवस्था
एक ओर मेडिकल कॉलेज और जिला चिकित्सालय में कार्यरत करीब 75 अन्य चिकित्सक नियमित रूप से सुबह-शाम उप नियंत्रक कार्यालय में रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर हाजिरी दर्ज करा रहे हैं, वहीं राजमेस के चिकित्सक इस व्यवस्था से पूरी तरह अलग हैं। इससे न सिर्फ नियमों की अवहेलना हो रही है,बल्कि दोहरी व्यवस्था और भेदभाव भी साफ नजर आता है।
मरीजों की सेवा पर असर
उपस्थिति का स्पष्ट रिकॉर्ड न होने से मरीजों की सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। चिकित्सक अवकाश पर जाने से पहले प्रशासन को सूचना नहीं देते,ऐसे में आपातकालीन और ओपीडी सेवाओं की वैकल्पिक व्यवस्था कैसे होगी, यह बड़ा सवाल है। राजमेस सोसायटी के आदेशों के तहत पीएमओ को सह-अधीक्षक का दायित्व सौंपा गया है, लेकिन उपस्थिति सुनिश्चित कराने में उनकी भूमिका भी कटघरे में है।
प्राचार्य के आदेश भी बेअसर
रिकॉर्ड के अनुसार 12 जून 2025 को मेडिकल कॉलेज प्राचार्य द्वारा पीएमओ कार्यालय में हाजिरी अनिवार्य करने के संशोधित आदेश जारी किए गए थे। इससे पहले 26 मई 2025 के आदेश और एनएमसी के डाटा अपलोड संबंधी नियम भी लागू हैं, लेकिन राजमेस चिकित्सक इनकी पालना नहीं कर रहे।
आपातकालीन विभाग में दबाव
आपातकालीन विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी भी सामने आ रही है। प्रभारी चिकित्सक के अधिकांश समय मेडिकल कॉलेज में रहने से इमरजेंसी में सेवाएं प्रभावित होती हैं। सुबह की पारी में अकेली महिला चिकित्सक को भीड़ और दबाव का सामना करना पड़ता है।
वर्जन
राजमेस से जुड़े 30 से अधिक चिकित्सकों को बार-बार निर्देश देने के बावजूद पीएमओ रजिस्टर में हाजिरी नहीं लगाई जा रही है। संबंधित चिकित्सकों की सूची उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ.ज्योत्सना चौधरी,उपनिदेशक व उप नियंत्रक,राजकीय जिला चिकित्सालय, श्रीगंगानगर
कॉलेज में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं
राजमेस के चिकित्सक मेडिकल कॉलेज में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। पूर्व में पीएमओ और राजमेस चिकित्सकों के बीच विवाद हुआ था, इसी कारण दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हैं। राजमेस डॉक्टर जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज में नियमित सेवाएं दे रहे हैं।
-प्रमोद बेरवाल, प्रधानाचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, श्रीगंगानगर