श्रीगंगानगर. पश्चिमी विक्षोभ के असर से गुरुवार को हुई बारिश से शहर की सड़कें पानी-पानी हुई तो एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ। यह वीडियो था कांग्रेस के नेता और नगर परिषद के सभापति के पति अशोक चांडक का जो शहर के हालात पर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे थे। उनका यह कहना कि राजनीतिक कारणों से नगर परिषद का स्टाफ हमारे कहने पर काम नहीं कर रहा। राजनीतिक कारणों की ओट लेकर चांडक ने अपना बचाव करने की कोशिश की। लेकिन उनकी यह कहने की हिम्मत नहीं हुई राजनीतिक कारण स्थानीय विधायक राजकुमार गौड़ की देन है या फिर जयपुर में बैठे किसी बड़े नेता की। अगर यह विधायक की देन है तो शहर का दुर्भाग्य है। और अगर जयपुर में बैठे किसी बड़े नेता के कहने पर नगर परिषद का स्टाफ कहना नहीं मान रहा तो शहर के साथ-साथ चांडक और गौड़ का भी दुर्भाग्य है कि उनकी नेतागिरी पर कोई तीसरा हावी है जो परिषद के सफाई कर्मचारी से लेकर आयुक्त तक को सभापति और उनके पति का कहा नहीं मानने को उकसा रहा है।
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मानसून इस बार भी आएगा। मानसून पूर्व की बरसात हमारे यहां 13 जून के बाद होती है और मानसून जुलाई के प्रथम सप्ताह से लेकर अगस्त के मध्य तक सक्रिय रहता है। इस हिसाब से तो नगर परिषद और नगर विकास न्यास के पास इतना समय ही नहीं बचा कि वह अपने-अपने इलाके में पानी की निकासी के लिए बनाए गए नालों की सफाई करवा ले। नालों की सफाई के साथ-साथ बारिश के पानी की निकासी की पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई तो शहर की जनता पिछले साल की तरह रोम जल रहा था और नीरो सुरक्षित जगह पर बैठा बंसी बजा रहा था वाली कहावत को याद कर परेशान होती रहेगी।
इस बीच, विधायक राजकुमार गौड़ का नाम लेकर चांडक पहले भी आरोप लगाते रहे हैं कि वह नगर परिषद के कामों में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हैं। आयुक्त की नियुक्ति के लिए पार्षदों को साथ लेकर कलक्ट्रेट पर धरना देते समय चांडक ने आयुक्त की नियुक्ति में अड़ंगा डालने का आरोप विधायक पर ही लगाया था। कानून व्यवस्था, नशाखोरी और गुंडागर्दी को लेकर सवाल उठाते समय उनका इशारा किसकी तरफ रहा यह शहर की जनता भली भांति जानती है। अब अगर उनके राजनीतिक भविष्य को पलीता लगाने के लिए विधायक बारिश के पानी की निकासी के आड़े आकर शहर को डुबोने की राजनीति कर रहे हैं तो चांडक को पुख्ता सबूत पेश कर खुद को पाक दामन साबित करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो नगर परिषद से नाता तोड़ना तो उनके बूते में है। रही बात विधायक की तो अब उन्हें दरबारियों के बजाय जनता के बीच आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। विधायक होने के नाते पानी की निकासी की व्यवस्था करवाने की जिम्मेदारी उनकी भी है। इससे वह भी पल्ला नहीं झाड़ सकते।