
police station
श्रीगंगानगर.
आधुनिक व आर्थिक युग में जहां परिवारों में विवादों की संख्या बढ़ रही है, पुलिस भी अब ऐसे प्रकरणों में मामले दर्ज करने के बजाय परामर्श व समझाइश पर जोर दे रही है।इसके चलते दहेज के प्रकरणों में काफी गिरावट आई है। पिछले साल की तुलना में गत वर्ष दहेज प्रताडऩा के 56 मामले कम हुए हैं।
महिला थाना पुलिसकर्मियों का कहना है कि थाने में आने वाले दहेज प्रताडऩा के प्रकरणों को दर्ज करने से पहले तीन स्तरीय परामर्श व समझाइश की जाती है। इसमें पहले दौर में दोनों पक्षों को अच्छी तरह सुना जाता है। इसके बाद पति व पत्नी को घर भेज दिया जाता। फिर दस दिन बाद दोनों को थाने बुलाया जाता है। वहां दोनों को आमने-सामने बैठाकर चर्चा कराई जाती है और दोनों पुलिस की मौजूदगी में एक-दूसरे की कमियों पर चर्चा करते हैं। तीसरी काउंसलिंग दोनों पक्षों के रिश्तेदारों व परिजनों की मौजूदगी में होती है। इस दौरान प्रयास होता है कि परिवार टूटे नहीं। इस काउंसलिंग का काफी असर होता है और परिवार टूटने से बच जाते हैं।
ये होती हैं शिकायतें
- पुलिसकर्मियों का कहना है कि यहां अक्सर शिकायत लेकर आने वाली महिलाओं की शिकायत रहती है, कि पति उस पर संदेह करता है। उसे इधर-उधर जाने से रोकता है। इसके अलावा रुपए नहीं देने के मामले भी सामने आते हैं। कुछ महिलाएं परिवार में अकेली रहना चाहती है और पति परिवार के साथ रहना चाहता है। ऐसे में विवाद बढ़ जाते हैं और मामला थाने तक पहुंच जाता है। यदि पति की कमी होती है तो उसे पाबंद कर दिया जाता है और पत्नी की कमी पर उसके रिश्तेदारों व माता-पिता को समझाया जाता है।
दहेज के 56 प्रकरण हुए कम
- वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2017 में 56 प्रकरणों की कमी आई है। वर्ष 2016 में दहेज प्रताडऩा के 163 मामले दर्ज हुए थे, जबकि वर्ष 2017 में 117 मामले दर्ज हुए हैं। यह प्रकरण काउंसलिंग के कारण ही कम दर्ज हुए हैं। वर्ष 2018 में भी पुलिस की ओर से इसी तरह दहेज प्रताडऩा के प्रकरणों को लेकर बेहतर काउंसलिंग की जाएगी, जिससे परिवारों में बिखराव कम हो सके।
महिला प्रताडऩा के मामलों में भी आई कमी
- दहेज के अलावा महिला प्रताडऩा के प्रकरणों में भी कर्मी दर्ज की गई है। महिला थाने में दुष्कर्म, महिलाओं से छेड़छाड़ के प्रकरणों में काफी कमी आई है। महिलाओं के अपहरण का एक मामला पिछले साल की तुलना में बढ़ा है। वहीं अन्य मामलों में सात प्रकरण बढ़े हैं।
इनका कहना है
- थाने में दहेज प्रताडऩा के प्रकरणों में पहले तीन बार काउंसलिंग की जाती है। इसके चलते कई परिवारों में आपसी सहमति से विवाद समाप्त हो जाता है। इसके चलते दर्ज होने वाले प्रकरणों में कमी आई है। पुलिस का प्रयास रहता है कि कोई परिवार टूटे नहीं।
अरविंद बैरड़, प्रभारी महिला थाना श्रीगंगानगर।
Published on:
09 Jan 2018 09:18 pm
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