
इस तकनीक से कम होगा प्रदूषण!
श्रीगंगानगर.
नदी जल को प्रदूषण से बचाने के लिए केन्द्र सरकार दक्षिण कोरिया की तकनीक अपनाने पर विचार कर रही है। इसके लिए वहां की एक कंपनी केएनपी से बातचीत चल रही है। कंपनी जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों के समक्ष इस तकनीक का प्रदर्शन कर चुकी है। तकनीक के नतीजों पर मंत्रालय ने संतोष जताया है। इसे देखते हुए निकट भविष्य में इस तकनीक को लेने का करार हो सकता है।
केन्द्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने 'पत्रिकाÓ से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत में नदी जल प्रदूषण गंभीर समस्या बन गया है। गंगा और यमुना जैसी बड़ी नदियों के साथ देश की लगभग सभी नदियां प्रदूषण की शिकार हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही पंजाब में व्यास नदी में शुगर मिल का शीरा बहने से पानी इस स्तर तक प्रदूषित हो गया कि असंख्य जलीय जीव जंतु काल का ग्रास बन गए। ऐसी स्थिति में नदी जल को प्रदूषण मुक्त करने के कारगर उपाय अपनाना जरूरी हो गया है।
सोलह जगह चिन्हित
जल संसाधन राज्य मंत्री मेघवाल ने बताया कि राजस्थान के नौ जिलों को पीने का पानी नहरों के माध्यम से पंजाब से मिलता है। सतलुज और व्यास नदियों में औद्योगिक इकाइयों के रासायनिक अपशिष्ट और दर्जन भर शहरों के सीवरेज का प्रदूषित पानी डाले जाने से पंजाब और राजस्थान में उदर संबंधी बीमारियों के रोगी बढ़ रहे हैं। कई रिपोर्टों में पंजाब और राजस्थान में कैंसर रोगियों की संख्या बढऩे का कारण भी प्रदूषित पानी को माना गया है।
उन्होंने बताया कि नदी जल के प्रदूषण को लेकर केन्द्र सरकार ने नेशनल वाटर डवलपमेंट एसोसिएशन का गठन किया है, जिसमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
इस एसोसिएशन ने पंजाब में सोलह ऐसे स्थान चिन्हित किए हैं जहां नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है। उन्होंने बताया कि दक्षिण कोरिया की तकनीक का उपयोग पंजाब में किए जाने पर विचार हो चुका है। इस तकनीक से कम खर्च में प्रदूषित पानी का शोधन कर उसे नदियों में डाला जाएगा, जिससे बीमारियों का खतरा नहीं रहेगा।
Published on:
25 May 2018 06:48 am
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