
प्रेम के श्रद्धा में बदल जाने की अनूठी गाथा के हजारों गवाह
अनूपगढ़.
यह प्रेम के श्रद्धा में तब्दील हो जाने की अमर गाथा है। अपने प्रेम को पाने और पाकर उसका अहसान उतारने के लिए श्रद्धा से नतमस्तक होते प्रेम में पगे प्रेमी जोड़ों को यहां आम देखा जाता है। शुक्रवार को ये जोड़े बड़ी संख्या में नजर आए।
भारत-पाक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के नजदीक स्थित गांव बिंजौर में देशभर में प्रसिद्धि पा चुकी लैला-मजनूं की मजार पर शुक्रवार को सालाना मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने मजार पर शीश नवा कर तथा धागा बांधकर अपनी इच्छापूर्ति की कामना की। मेले में दूर-दूर से लोग आए और मेले का आनंद उठाया। सभी धर्मों की आस्था की प्रतीक लैला-मजनूं की इस मजार पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना आरम्भ हो गया तथा दोपहर होते-होते मेले में जनसैलाब उमड़ पड़ा।
मजार पर माथा टेकने के लिए लबी लाइनें लग गई। मेले में जहां देखो, वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आ रही थी। मेले में जगह-जगह प्रसाद की दुकानों के अलावा खाने-पीने की, रेेडिमेड वस्त्र, साज-सज्जा और खिलौनों आदि की दुकानें भी सजी हुई देखी गई, जिन पर लोगों ने जमकर खरीददारी की। आज दिन भर धूल भरी आंधी चलती रही। इसके बावजूद लैला-मजनूं की मजार के प्रति आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बिना खराब मौसम की परवाह किए मजार पर धोक लगाने के लिए सुबह से शाम तक पहुंचे।
मजार की सेवा में हिंदू परिवार
लैला मजनूं मेले में सबसे विशेष बात यह है कि मेला लगने के लिए बनाई गई कमेटी में एक भी मुस्लिम सदस्य नहीं है। कमेटी प्रधान ने बताया कि पूरे गांंव में भी कोई मुस्लिम परिवार नहीं है। मजारों की सार-संभाल और दीया बाती करने का काम भी हिंदू परिवार करते हैं। इसके अलावा इसके द्वार पर मंदिरों की तरह घंटी लगी हुई है तथा मंदिर की तरह रोज दीपक जलाए जाते हैं।
पुलिस व बीएसएफ चौकस
मेले में हर साल की तरह इस बार भी सुरक्षा व्यवस्था के नजरिए से पुलिस के जवान तैनात रहे। यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए वाहनों को मेला स्थल से पहले ही रोक लिया गया। मेले में अव्यवस्था नहीं हो, इसके लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद थी। पुलिस के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने भी पूरी चौकसी बरती।
खेल प्रतिस्पर्धा का आयोजन
मेले के दौरान कुश्ती तथा कब्बडी का आयोजन भी किया गया। इसमें अनेक पहलवानों तथा टीमों ने भाग लिया। मेले में आज महिला कब्बडी प्रतियोगिता भी करवाई गई। करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिंजौर गांव में मजार के आसपास के काफी बड़े क्षेत्र में मेला कमेटी ने शामियाना लगाकर श्रद्धालुओं के लिए छाया की व्यवस्था की। मेले में पंजाबी अखाड़ा भी लगाया गया। इसमें बाहर से आए कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
Published on:
16 Jun 2018 06:55 am
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