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तेरी क्या मजबूरी है… मुझसे क्यों दूरी है… क्या इतना बुरा हूं मैं मां?

- करीब ढाई किलो वजन के नवजात को शिशु नर्सरी में किया एडमिट

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श्रीगंगानगर. इसे भाग्य का खेल कहे या फिर भी किसी की मजबूरी। करीब एक सप्ताह पहले जन्मे शिशु वह भी लड़के को उसकी मां के आंचल का पूरा प्यार नही मिल पाया। लेकिन उसकी मां या पिता या अन्य किसी ने उसे जिला चिकित्सालय के पालना गृह आश्रय बूथ पर राम भरोसे छोड़ दिया। दोपहर करीब बारह बजे जब इस नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनी तो किसी कार्मिक की नजर वहां पहुंची तो यह बच्चा कपड़ों में लिपटा हुआ मिला। इस बच्चे को स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए पूरा स्टाफ सतर्क हो गया। इस शिशु को जिला चिकित्सालय की शिशु नर्सरी में एडमिट किया गया है। इसकी हालत में सुधार बताया जा रहा है। एमरजेंसी भवन में आश्रय बूथ बनाया गया है, इस बूथ पर कोई अज्ञात शख्स वहां आया और इस शिशु को छोड़कर चला गया। इसके बाद चिकित्सालय के नर्सिग स्टाफ ने इसे संभाला और शिशु नर्सरी में भर्ती कराया। नर्सरी प्रभारी डा. संजय राठी ने पत्रिका को बताया कि इस बच्चे का जन्मे छह से दस दिन के बीच में हुआ होगा। इस नवजात लड़के की नाभी सूखी हुई है, इससे जन्म की गणना की जा सकती है। उन्होंने बताया कि इस बच्चे का वजन 2 किलो 435 ग्राम है। यह बच्चा स्वस्थ है। मां का दूध इस स्टेज पर ज्यादा जरूरी होता है। ऐसे में इस बच्चे को नली के माध्यम से दूध पिलाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
काला धागा बांधा कि नजर न लगे मेरे लाल को
इस शिशु के दोनों हाथों, पांव और गले में काले रंग का धागा भी बांधा मिला है। चिकित्सक का कहना है कि ज्यादातर जरुरतमंद परिवार की महिलाएं अपने बच्चे की नजर नहीं लगे ऐसे मे यह काला धागा बांधती है। इस वजह से शिशु के काले धागे बांधने की प्रक्रिया अपनाई होगी। पहचान छुपाने के लिए शिशु के पास कोई साक्ष्य ऐसा नहीं मिला जिससे उसके परिवार या मां की पहचान हो। एक साधारण कपड़े में लिपटा कर छोड़ दिया गया। डा. राठी का यह भी मानना था कि शिशु के शरीर से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस शिशु प्री मच्योर नहीं है, डिलीवरी पूरे दिन बाद खासतौर पर दो दिन बाद इस बच्चे ने जन्म लिया होगा।
बाल कल्याण समिति करेगी मॉनीटरिंग
इस बीच, सूचना मिलने पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष जोगेन्द्र कौशिक और सदस्य डा. रामप्रकाश शर्मा भी पहुंचे। इन दोनों ने चिकित्सक डा.संजय राठी से इस नवजात शिशु के स्वास्थ्य बारे में फीडबैक लिया। समिति अध्यक्ष का कहना था कि इस बच्चे को समिति अपनी देखरेख में लेगी और इसे गोद देने की प्रक्रिया अपनाएगी। कौशिक ने बताया कि जिले में कई परिवारों के लोग बच्चे जन्मे के बाद उसे पालने की बजाय झाडि़यों में फेंक जाते है। लेकिन अब ऐसे नवजात शिशुओ का जीवन बचाने के लिए समिति ने भामाशाहों की मदद से जिले में आठ स्थानों पर पालना गृह आश्रय बूथ बनाने का निर्णय लिया है। इसमें सादुलशहर में यह बूथ बन चुका है। वहीं पदमपुर और करणपुर में प्रक्रिया चल रही है। अन्य स्थानों पर स्थल का चयन किया जाना है।