श्री गंगानगर

युवा ही हमारी रीढ़ हैं और उन्हें साहित्य-संस्कृति से जोडऩा हमारा पहला काम: डॉ.सहारण

-राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण से पत्रिका से विशेष बातचीत

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युवा ही हमारी रीढ़ हैं और उन्हें साहित्य-संस्कृति से जोडऩा हमारा पहला काम: डॉ.सहारण

युवा ही हमारी रीढ़ हैं और उन्हें साहित्य-संस्कृति से जोडऩा हमारा पहला काम: डॉ.सहारण

-राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण से पत्रिका से विशेष बातचीत

श्रीगंगानगर.राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण का कहना है कि युवाओं को साहित्य से जोडऩा बहुत है। युवा साहित्य और संस्कृति से जुड़ेंगे तो हम आने वाली पीढ़ी को जोड़ पाएंगे। वे शुक्रवार को पत्रिका संवाददाता कृष्ण चौहान से विशेष बातचीत कर रहे थे। डॉ.सहारण यहां राजस्थान साहित्य अकादमी और सृजन सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार व रविवार को होने वाले श्रीगंगानगर जिला साहित्यकार सम्मेलन में भाग लेने के लिए आए हैं। प्रस्तुत है इस मौके पर उनसे हुई संक्षित बातचीत

पत्रिका: साहित्य अकादमी युवाओं के लिए क्या विशेष करने वाली है?
डॉ. सहारण: युवाओं में साहित्य के संस्कार विकसित करना हमारा पहला काम होगा। इसके लिए जहां अकादमी के कार्यक्रमों में युवाओं को तरजीह दी जा रही है,वहीं अकादमी की पत्रिका मधुमती में भी पच्चीस प्रतिशत युवा रचनाकारों को स्थान देने की पहल हमने शुरू कर दी है। युवा ही हमारी रीढ़ हैं और उन्हें साहित्य-संस्कृति से जोडऩा हमारा पहला काम है।

पत्रिका:हमारे पाठक अकादमी की मूल भावना जानना चाहेंगे। क्या आप प्रकाश डालेंगे?
डॉ. सहारण:राजस्थान साहित्य अकादमी प्रदेश की सबसे पुरानी अकादमी है और यह एक स्वायत्तशासी संस्था है। इसका कार्य प्रदेश में साहित्यिक वातावरण तैयार करना,यहां के साहित्य को प्रोत्साहित करना,साहित्य के प्रकाशन में मदद करना, साहित्यकारों को पुरस्कृत करना है। इसका उद्देश्य साहित्य सृजन में लगे लोगों का उत्थान और प्रोत्साहन है। साहित्य से ही हमारी नई पीढ़ी संस्कारित होगी।

पत्रिका: सरकारों की प्राथमिकता साहित्य अकादमियां कभी नहीं रही। ये वास्तव में कब स्वायत्तशासी बन पाएंगी?
डॉ.सहारण:भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और हमें इसी संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप कार्य करना होता है। हमारे जैसा लोकतंत्र और कहीं नहीं मिलता। ऐसे में हमें लगता है कि लोकतंत्र में जनता के द्वारा सरकार चुनी जाती है, उसी के अनुरूप कार्य होना ही बेहतर है।पत्रिका: महिलाएं हमेशा अकादमियों में उपेक्षित ही रही हैं। इसकी क्या वजह रही है?

डॉ. सहारण:कम से कम हमारे मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत के समय में तो ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता। कुछ समय पहले जिन आठ अकादमियों में सरकार ने नियुक्तियां की हैं, उनमें से दो संस्कृत अकादमी और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी में महिला अध्यक्ष बनी हैं। कई अकादमियों में महिलाओं को सदस्य भी बनाया गया है।

Published on:
19 Nov 2022 07:53 am
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