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भामाशाहों का शिक्षा दान से मोहभंग: राजस्थान के सरकारी स्कूलों में दान पर क्यों लगा ब्रेक? जानें

School bhamashah Scheme-2025: राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में वर्षों से निःस्वार्थ भाव से सहयोग करते आ रहे भामाशाह अब सरकार की नई शर्तों से असहज नजर आ रहे है।

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Photo- Patrika

School bhamashah Scheme-2025: सूरतगढ़/श्रीगंगानगर। शिक्षा के क्षेत्र में वर्षों से निःस्वार्थ भाव से सहयोग करते आ रहे भामाशाह अब सरकार की नई शर्तों से असहज नजर आ रहे है। सरकारी विद्यालयों के संसाधन सुदृढ़ करने के उद्देश्य से लागू की गई विद्यालय भामाशाह योजना-2025 से जहां विभागीय अपेक्षाएं बढ़ी है, वहीं दानदाताओं के बीच असंतोष भी सामने आने लगा है। भामाशाहों का मानना है कि नई शर्तों के चलते शिक्षा दान करना पहले की तुलना में अधिक कठिन हो गया है।

नई योजना के तहत किसी भी सरकारी के विद्यालय को गोद लेने वाले से भामाशाह को लगातार पांच वर्षों तक सहयोग देना अनिवार्य किया गया है। पहले जहां एकमुश्त या सीमित अवधि के लिए दान दिया जाता था, वहीं अब लंबी अवधि की प्रतिबद्धता ने छोटे और स्थानीय दानदाताओं को असमंजस में डाल दिया है। इसके कारण कई भामाशाह शिक्षा दान से पीछे हटते नजर आ रहे है, जिसका सीधा असर सरकारी विद्यालयों पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

खर्चों का बढ़ा दबाव

योजना के अनुसार पहले वर्ष में फर्नीचर, पेंटिंग, खेल सामग्री और आधारभूत ढांचे जैसे गैर-आवर्ती कार्य कराए जाएंगे। इसके बाद अगले चार वर्षों तक विद्यालय के रखरखाव, मरम्मत, बिजली-पानी जैसे आवर्ती खर्चों की जिम्मेदारी भी भामाशाह पर ही रहेगी। इससे दानदाताओं पर हर वर्ष अतिरिक्त आर्थिक दबाव बढ़ गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित संसाधनों से सहयोग करने वाले छोटे भामाशाह इस दीर्घकालिक दायित्व को निभाने में स्वयं को असमर्थ बता रहे हैं।

ऐसे होगा विद्यालयों का नामकरण

भामाशाह विद्यालयों के नामकरण के लिए राशि भी निर्धारित की गई है। इसके तहत निर्धारित राशि का योगदान देने पर विद्यालय का नामकरण दानदाता के नाम पर किया जाएगा। रावि. के नामकरण में किसी भी कंपनी का नाम शामिल नहीं किया जा सकेगा।

क्रमविद्यालय का प्रकारराशि (लाख रुपए में)
1प्राथमिक विद्यालय30
2उच्च प्राथमिक विद्यालय60
3माध्यमिक विद्यालय150
4उच्च माध्यमिक विद्यालय200

इनका कहना है…

भामाशाहों के सरकारी विद्यालयों में योगदान के लिए विभाग के उच्चाधिकारियों के जारी आदेशानुसार ही नियमों की पालना करवा रहे हैं। इससे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
गिरजेश कांत शर्मा, मुख्य शिक्षा अधिकारी, श्रीगंगानगर