
कांस्टेबल धर्मवीर की देखरेख में ढाई करोड़ की लागत से बन रहा स्कूल भवन, नाम है आपणी पाठशाला... Patrika
Inspirational Police Story : गुरु पूर्णिमा पर जब देशभर में गुरु.शिष्य परंपरा का गुणगान हो रहा है, ऐसे में राजस्थान के चूरू शहर से एक ऐसा नाम सामने आया है जिसने इस परंपरा को नए युग की पहचान दी है। चूरू पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़ आज 275 गरीब और बेसहारा बच्चों के लिए असली गुरु बन चुके हैं। धर्मवीर सिंह ने भीख मांगने, कचरा बीनने और होटल में बर्तन धोने वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा और उनके जीवन को रोशनी दी है। उनके इस मिशन का नाम रखा गया है आपणी पाठशाला, इस मिशन में अब उनके साथ बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं और इन जरूरतमंद बच्चों का जीवन संवार रहे हैं।
करीब चार साल पहले उन्होंने 10-12 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। शुरुआत एक छोटे से कमरे से हुई, लेकिन धीरे.धीरे लोग जुड़ते गए। आज परिणाम ये है कि चूरू में 2.5 करोड़ रुपये की लागत से एक विशाल स्कूल भवन बन रहा है जिसमें 80 से ज्यादा कमरे हैं। खास बात यह है कि बच्चों का रहना, खाना, पढ़ाई, सब कुछ बिल्कुल मुफ्त है।
इस मिशन को चलाने के लिए हर महीने करीब ₹5 लाख की जरूरत होती है, जो पूरी तरह से दान पर आधारित है। कोई व्यक्ति ₹500 देता है तो कोई ₹58 लाख तक की मदद कर चुका है, लेकिन धर्मवीर की टीम हर दानदाता का पूरा रिकॉर्ड पारदर्शिता से रखती है। दो साल पहले जब भवन के लिए नींव रखी गई थी, उसी समय भामाशाओं ने करीब एक करोड़ की मदद कर दी थी। उसके बाद से यह सिलसिला जारी है।
इस स्कूल में बच्चों के लिए हर सुविधा मौजूद है। अलमारी, टीवी, वाशिंग मशीन, टेबल.कुर्सी, गेम्स, सीसीटीवी, डिजिटल प्लेटफॉर्म और पढ़ने का सम्पूर्ण सामान। शिक्षक बिना किसी फीस के पढ़ाते हैं, आसपास के लोग बच्चों की मुफ्त हेयरकटिंग करते हैं। यह केवल स्कूल नहीं, बल्कि समाज के लिए एक आदर्श बन चुका है।
धर्मवीर बताते हैं कि स्कूल को अभी कक्षा 8 तक की मान्यता प्राप्त है और करीब 275 से ज्यादा बच्चे इसमें पढ़ रहे हैं। कई राजनेता, आईएएस, आईपीएस अफसर, बड़े कारोबारी, और अन्य उच्च अधिकारी इस पाठशाला का निरीक्षण कर चुके हैं और धर्मवीर के कार्य की प्रशंसा कर चुके हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि धर्मवीर जो कि सिपाही हैं, उनको अपने अफसरों और साथियों का पूरा सपोर्ट है। प्रदेश में अपने तरह का यह पहला ही स्कूल है।
खास बात यह है कि बीते तीन वर्षों में करीब 700 परिवारों ने अपने बच्चों का जन्मदिन, शादी की सालगिरह या किसी परिजन की पुण्यतिथि यहां गरीब बच्चों के बीच मनाकर सामाजिक बदलाव की मिसाल पेश की है। धर्मवीर सिंह जाखड़ का यह प्रयास इस गुरु पूर्णिमा पर हमें सोचने पर मजबूर करता है कि असली गुरु वही है जो न केवल ज्ञान दे, बल्कि जीवन को दिशा भी दे। धर्मवीर के फेसबुक से करीब 12 लाख लोग जुड़े हुए हैं। इस पेज पर पल-पल की अपडेट दी जाती है।
Updated on:
10 Jul 2025 03:28 pm
Published on:
10 Jul 2025 11:58 am
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