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जयपुर

1992 के बाद इस बार बना संयोग, गर्मियों में नहीं, वसंत ऋतु में शुरू होगा रमजान, बिखरेगी ईमान की मिठास

स्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने माह-ए-रमजान की शुरुआत शाबान महीने के 29 वें दिन चांद का दीदार होने के बाद होगी। जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद में सोमवार शाम को धर्मगुरुओं की मौजूदगी में आसमान में चांद दिखने की तस्दीक की जाएगी। इस दिन चांद दिखने पर मंगलवार से और चांद न दिखने की स्थिति में बुधवार से रोजों की शुरुआत होगी।

जयपुरMar 11, 2024 / 02:25 pm

Akshita Deora

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स्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने माह-ए-रमजान की शुरुआत शाबान महीने के 29 वें दिन चांद का दीदार होने के बाद होगी। जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद में सोमवार शाम को धर्मगुरुओं की मौजूदगी में आसमान में चांद दिखने की तस्दीक की जाएगी। इस दिन चांद दिखने पर मंगलवार से और चांद न दिखने की स्थिति में बुधवार से रोजों की शुरुआत होगी।

वर्ष 1992 के बाद ऐसा संयोग बना है कि जब रमजान का महीना अप्रेल के बजाय मार्च में वसंत ऋतु में शुरू होगा। इस कारण समाजजनों को चिलचिलाती गर्मी में रोजे नहीं रखने होंगे। रमजान के महीने का समापन नौ अप्रेल को होगा। पूरे महीने रोजेदार अल्लाह की इबादत और नमाज अदा करने के साथ ही और जकात देंगे और जरूरतमंदों की मदद करेंगे। उधर, शहर की सभी मस्जिदों और इबादत स्थलों की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई का काम पूरा हो चुका है। रमजान के दौरान यहां सजावट के साथ ही रोशनी भी की जाएगी। रमजान के लिए रोजेदारों के घरों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

गुनाहों की मिलती है माफीनोमानी ने बताया कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल में 365 दिन होते हैं और चांद के हिसाब से लगभग 355 दिन होते हैं। अत: रमजान का महीना 29 या 30 दिन का होता है। हर साल चांद के हिसाब से रमजान का महीना आता है। इस महीने के जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं और अल्लाह अपने रोजेदारों और इबादत करने वालों की दुआओं को कबूल करता है। साथ ही इस पाक महीने में गुनाहों के लिए भी माफी मिलती है।

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चांद के अनुसार बदलती है तारीखप्रत्येक वर्ष चांद के अनुसार रमजान के महीने की तारीख बदलती रहती है। लोग रमजान के महीने में रोजा रखकर खुदा की बारगाह में सजदा करते हैं। इस महीने में पहले 10 दिन के रोजे को रहमत, दूसरे 10 दिन के रोजे को बरकत और तीसरे 10 दिन के रोजे को मगफिरत का अशरा कहा जाता है।

संसारचंद्र रोड स्थित दरगाह मीर जी के बाग के सज्जादानशीन डॉ. सैयद हबीबुर्रहमान नियाजी ने बताया कि रमजान के महीने की इस्लाम में बड़ी अहमियत है। इसमें इस्लाम के पांच फर्ज में से एक फर्ज की अदायगी की जाती है। ये हैं कलमा, नमाज, जकात, रोजा और हज। रमजान को कुरआन का महीना भी कहा जाता है चूंकि इसमें कुरआन की किताब आसमां से जमीन पर उतरी थी, अत: इस महीने में ज्यादा से ज्यादा कुरआन पढ़नी चाहिए।
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इस्लामिक कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं। इसकी शुरुआत मुहर्रम के महीने से होती है और समापन जुलहिज्जा से होता है। आठवें माह शाबान के बाद रमजान का महीना आता है। इसमें इस्लाम धर्म का अनुसरण करने वाले धर्मावलंबी रोजे रखकर अपनी इबादत में इजाफा करते हैं। समाजजन पूरे महीने रोजे रखेंगे। शाम को इफ्तार और सुबह सहरी में अलग—अलग पकवान बनाए जाएंगे। बच्चे भी रोजे रखकर खुदा की इबादत करेंगे।

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