
विधायक ने दी विभाग को क्लीन चिट, भाजपा पदाधिकारी बोले : एसओजी से करवाएं जांच
गंगनहर में बंदी के दौरान मरम्मत और साफ-सफाई में कथित रूप से भ्रष्टाचार को लेकर विधायक और भाजपा नेताओं ने परस्पर विपरीत बयान जारी किए हैं। विधायक जयदीप बिहाणी ने प्रेस नोट जारी कर बंदी के दौरान हुए कार्यों को सही ठहराते हुए जल संसाधन विभाग को क्लीन चिट दे दी है, जबकि दूसरी ओर भाजपा नेता एडवोकेट प्रताप सिंह शेखावत और रजत स्वामी ने कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। शेखावत ने तो मामले की एसओजी से जांच करवाने तक की मांग कर डाली है। आपको बता दें कि एडवोकेट शेखावत भाजपा विधि प्रकोष्ठ में सह संयोजक हैं, वहीं एडवोकेट रजत स्वामी भाजयुमो के पूर्व पदाधिकारी हैं। वर्तमान में प्रदेश में भाजपा की सरकार है और श्रीगंगानगर विधायक भी भाजपा के हैं, ऐसे में विधायक और भाजपा पदाधिकारियों की ओर से एक ही मुद्दे पर विरोधाभासी बयान जारी करना पार्टी में फूट की ओर इशारा कर रहे हैं। इलाके की जीवदायिनी गंगनहर की सार-संभाल के लिए हर साल की तरह इस बार भी 20 दिन की बंदी ली गई। इस दौरान नहर की मरम्मत व साफ-सफाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए जाने थे ताकि बंदी खुलने के बाद पूरे साल नहर में पानी निर्बाध रूप से बह सके। नहरबंदी के दौरान हजारों किसानों सहित आमजन को पानी के संकट का भी सामना करना पड़ा, लेकिन यदि बंदी के परिणाम सुखद होते तो इसे भुलाया भी जा सकता था, लेकिन कड़वा सच तो यह है कि ऐसा हुआ नहीं। सिंचाई पानी के लिए मर-मिटने वाले सिान संगठनों के पदाधिकारियों ने भी इस बार चुप्पी साधे रखी। ना तो मौका-मुआयना किया और न ही कार्यों पर किसी प्रकार की आपत्ति दर्ज करवाई। बंदी के बाद अब नहर में फिर से पानी प्रवाहित कर दिया गया है, लेकिन बंदी के दौरान हुए कार्यों पर अब जो सवाल उठाते हुए भाजपा के पदाधिकारी कार्यों की जांच एसओजी से करवाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, विधायक अपने क्षेत्र में जल संसाधन विभाग को पूरी तरह क्लीन चिट देते हुए पंजाब इलाके में हुए नहर के कार्यों में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए वहां की आम आदमी पार्टी की घेराबंदी करते नजर आते हैं।
श्रीगंगानगर. विधायक जयदीप बिहाणी ने कहा कि नहर बंदी के दौरान गंगनहर के पंजाब वाले हिस्से में सफाई के नाम पर कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने राजस्थान वाले हिस्से में सफाई के कार्य पर संतोष जताया है। विधायक ने कहा कि गंगनहर में बंदी इसकी साफ -सफाई के लिए ली गई थी। राज्य के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत ने प्रशासन को पहले ही आगाह कर दिया था कि गंगनहर की सफाई के काम में कोई कोताही नहीं बरती जाए। विधायक का कहना है कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस मामले में निगाह रखी। अपने प्रतिनिधि के तौर पर रेग्युलेशन कमेटी के हरजिन्दर मान को भेजा। मान ने पटरी- पटरी जाकर मौके को देखा। कुछ जगहों पर कमियां पाई गई। इन्हें सुधारने के लिए एसई को निर्देशित किया गया। विधायक ने कहा कि पंजाब वाले हिस्से में गंगनहर की सफाई के नाम पर कोई काम नहीं हुआ। हांलाकि राजस्थान सरकार ने पंजाब को पहले ही बता दिया था कि हमारे यहां आचार संहिता लागू है। आचार संहिता के खत्म होने पर उसके हिस्से का भुगतान कर दिया जाएगा। गंगनहर की कुछ वितरिकाओं की सफाई के काम में किसानों का भी सहयोग रहा है। बिहाणी ने आरोप लगाया कि पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार नहरी तंत्र को माध्यम बना कर राजनीति कर रही है।
श्रीगंगानगर. गंगनहर पुल में बेड एवं नहर के साइडों में सफाई के नाम पर फिर खानापूर्ति की गई है। यह कहते हुए भाजपा नेता एडवोकेट रजत स्वामी ने जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार से शिकायत की है। स्वामी ने एसीएस को भेजी शिकायत में बताया है कि गंगनहर जल संसाधन वृत्त गंगनहर के अधिकारी राज्य सरकार की ओर से प्रदत्त शक्तियों को प्रोजेक्ट कमेटी के आगे सरेंडर करते हुए करोड़ों रुपए का नुकसान कर रहे हैं। भाजपा नेता स्वामी ने बताया कि आरडब्लूएसआरपी अधिनियम में स्पष्ट कहा गया है कि वृहत और मध्यम परियोजनाओं की मुख्य नहर, उनकी शाखाओं ओर बड़ी वितरिकाओं के प्रचालन ओर रख-रखाव का दायित्व/सिंचित क्षेत्र के विकास का कार्य जल संसाधन विभाग का ही होगा। स्वामी ने बताया कि 95 किलोमीटर लंबी गंगनहर में बेड एवं साइडों में सफाई, मलबा कचरा और सिल्ट उठाव के कार्य का टेंडर किया गया था, जबकि अभी तक सफाई के नाम पर 18 से 20 किलोमीटर में ही कार्य हुआ है, जो महज खानापूर्ति है। स्वामी ने बताया कि एसएसबी रोड स्थित गंगनहर पुल में सफाई के नाम पर खानापूर्ति करते हुए नहर में जमा सिल्ट-कचरा-मलबा नहर में ही एक साइड में इकठ्ठा कर दिया था जो नहर में पानी आने के साथ नहर में ही आगे बहकर चला गया। इससे नहर का पानी दूषित हो गया।स्वामी ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
श्रीगंगानगर. गंगनहर में विभाग की ओर से नहरबंदी के दौरान करवाए गए निर्माण, सफाई व अन्य कार्यों में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच एसओजी से करवाकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने तथा विभाग को पहुंचाए गए आर्थिक नुकसान की भरपाई करने की मांग का ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा गया है।
ज्ञापन में भाजपा विधि प्रकोष्ठ के सह संयोजक एडवोकेट प्रताप ङ्क्षसह शेखावत ने कहा है कि हर वर्ष बंदी लेकर ङ्क्षसचाई विभाग की ओर से गंगनहर में तथा विभिन्न हेडों पर साफ सफाई, निर्माण, नहरों के बेड की सफाई आदि का कार्य किया जाता है। जल संसाधन वृत्त, श्रीगंगानगर में गंगनहर परियोजना प्रबन्धक ने बीकानेर कैनाल से शिवपुर हैड तक व गंग कैनाल शिवपुर हैड से डाबला हेड तक की करीब 90 किलोमीटर लम्बाई में मुख्य नहर के तल में, पानी के साथ बहकर साथ आई जमा बरेती की नीलामी अपने स्तर से समाचार-पत्रों में प्रकाशित करवाकर खुद ही बोली प्रक्रिया को सम्पन्न करवा दिया। आरोप है कि धनराशि सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाई गई। मुख्य नहर में शिवपुर हैड से डाबला हैड तक कूड़ा, कचरा और भारी मात्रा में झाड़-झंखाड़ मंगलवार को पानी पहुंचने से पहले तक जमा थे। नहरबंदी के दौरान सफाई व मरम्मत कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट जिस कार्य के लिए खर्च किया जाता है, उसे सम्पूर्ण करवाए बिना ही ठेकेदार फर्मों को भुगतान कर दिया गया। ऐसे में कथित भ्रष्टाचार की जांच एसओजी से करवाने और अनियमित भुगतान की वसूली करने की मांग की गई है।
Published on:
24 Apr 2024 03:07 am
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