
बड़ी कार्यवाई : 4 शिक्षक बर्खास्त... फ़र्ज़ी जाती प्रमाण पत्र के आधार पर कर रहे थे नौकरी, जांच में हुआ खुलासा
सुकमा. शिक्षा विभाग में फर्जी जाति प्रमाण के आधार पर नौकरी पाने वाले 4 शिक्षकों को जांच के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने बर्खास्त कर दिया है। आदिवासी समाज के द्वारा पूर्व में 36 लोगों के नामजद शिकायत जिला प्रशासन से की थी, जिसके जांच शुरू हो गई हैं।
पूर्व में की गई 6 शिक्षकों के मामले में हुई जांच के बाद पांच के खिलाफ शिकायत सही पाई गई। इस कारण इन चार शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं एक शिक्षक सेवानिवृत्त और एक की नियुक्ति बीजापुर जिले से हुई थी। उक्त शिक्षक के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए बीजापुर जिला प्रशासन को भेजा गया है।
अन्य लोगों मां की वंशावली के आधार पर बनवाया जाति प्रमाणपत्र : एक वर्ष पूर्व आदिवासी समाज के द्वारा 36 लोगों के फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने की शिकायत सुकमा कलेक्टर से की थी जिसके बाद आदिवासी समाज राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से भी मामले की शिकायत की थी। कलेक्टर के निर्देश पर जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन प्रकोष्ठ ने केवल चार लोगों के जाति प्रमाण पत्र फर्जी मिला हैं।
इन पर हुई कार्रवाई
फर्जी जाति प्रकरण मामले में शिक्षा अधिकारी के द्वारा कार्रवाई करते हुए प्रधान पाठक बालक आश्रम इंजरम सलवम गिरीश, प्रधान पाठक पीएस पटेलपारा फंदीगुड़ा सलवम गीता, प्रधान पाठक पीएस धावड़ाभाटा वरलक्ष्मी नाग और प्रधान पाठक पीएस मिलमपल्ली ओसिक ठाकुर को बर्खास्त किया है।
जिला शिक्षा अधिकारी नितीन डडसेना ने चारों की तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दिया है। वहीं एर्राबोर प्राचार्य के. यशवंत रामा का जाति प्रमाण पत्र संदिग्ध पाया गया। जांच समिति के समक्ष अपना सही जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में असफल साबित हुए हैं।
आदिवासी विकास विभाग सुकमा से प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 ऐसे लोग भी हैं, उन्होंने स्थाई जाति प्रमाण पत्र बनाने के बाद सत्यापन नहीं कराया है। इनमें से भी 5 लोगों का जाति प्रमाण पत्र संदिग्ध पाया गया है, उन्हें शीघ्र ही जांच हेतु भेजा जाएगा।
बता दें कि उस दौरान अविभाजित बस्तर और दंतेवाड़ा जिले में निकली सरकारी नौकरियों में सुकमा जिले के कई लोगों शामिल हुए। वर्ष 1980 से 2012-13 के बीच हुए भर्ती कुछ लोगों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र किसी तरह से तैयार कर सरकारी नौकरी प्राप्त कर लिया था जबकि तहसीलदार द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र अस्थाई माना जाता हैं और यह 6 महीने तक ही वैध रहता है।
सरकारी नियमों के अनुसार 6 महीने के भीतर स्थाई जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना था लेकिन किसी ने भी स्थाई जाति प्रमाण पत्र नही जमा किया था। शिकायत के बाद इस पूरे मामले की जांच पड़ताल शुरू हुई और जांच में स्थाई जाति प्रमाण पत्र जमा नहीं किया जाना पाया गया। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करते रहे। जांच के बाद इन कर्मचारियों को पर कार्रवाई करते हुए बर्खास्त कर दिया गया है।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत के बाद जांच की गई। जांच में पांच लोग दोषी पाए गए हैं, जिस पर कार्रवाई करते हुए चार को तत्काल सेवा समाप्त कर दिया गया है। एक दूसरे जिले में पदस्थ है। वहीं एक शिक्षक रिटायर हो चुके हैं, विभागीय मार्गदर्शन ले लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नितिन डडसेना, जिला शिक्षा अधिकारी सुकमा
Published on:
05 Sept 2023 12:19 pm
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