
तीन साल में 13 करोड़ 93 लाख रुपये का गांजा हुआ बरामद, फिर भी तस्करों का हौसला बुलंद
जगदलपुर. Ganja Smuggling in Chhattisgarh: बस्तर पुलिस केवल माओवादियों को पकडऩे मेे नहीं गांजा तस्करों को पकडऩे के मामले में भी प्रदेश में सबसे अव्वल है। पुलिस ने विगत तीन वर्षों में गांजा तस्करी के 395 मामलों पर कार्रवाई की है। तस्करों से 13 करोड़ 93 लाख रुपए का गांजा बरामद किया है, बावजूद गांजा तस्करी (marijuana smuggling) पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर नाकामयाब हो रही है। वजह पड़ोसी राज्य ओडि़शा में गांजा का बंपर पैदावार होना है।
गौरतलब है कि सीमावर्ती राज्य ओडि़सा से गांजा तस्करी वर्षों से जारी है। पुलिस गांजा तस्करी करने वालों को जरूर पकड़ रही है, लेकिन गांजा के इस व्यापार को जड़ से खत्म करने में प्रयास नहीं हो पा रहे है। ऐसे में गांजा का यह कारोबार तेजी से फलफूल रहा है। ओडि़शा का गांजा बस्तर के रास्ते मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों तक पहुंच रहा है।
विगत तीन वर्षों में बस्तर संभाग के थानो में गांजा तस्करी के 395 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में 500 से अधिक तस्करों की गिरफ्तारियां की गई है। गांजा तस्करी में इस्तेमाल की जाने वाली सैकड़ोंं वाहनों को जप्त किया गया है। सौ से अधिक तस्कर आज भी जेल में कैद हैं।
फिर भी गांजा के कारोबारा में मुनाफा कमाने के लालच में तस्कर खूद को दांव पर लगाने से नहीं हिचक रहे हैं। देश के अलग-अलग राज्यों से बेरोजगार नौजवान लंबी दूरी तय कर सीमावर्ती राज्य ओडि़शा पहुंचते हैं और जोखिम लेकर भी गांजा की तस्करी करने का प्रयास करते हैं।
महिलाएं भी गांजा तस्करी में शामिल
गांजा तस्करी में पुरूष ही नहीं महिलाएं भी शामिल हो रही है। बस्तर पुलिस ने विगत वर्षों में 20 से अधिक महिलाओं को गांजा की तस्करी करते हुए पकड़ चुकी है। पुरूषों के मुकाबले महिलाएं गांजा परिवहन करने ट्रेन व बस का इस्तेमाल किया करती हैं।
पड़ोसी राज्य के साथ संयुक्त अभियान चलाने की जरूरत
पड़ोसी राज्य ओडि़शा में गांजा की खेती और इसके अवैध तस्करी रोकने छत्तीसगढ़ सरकार को ओडि़शा सरकार के साथ संयुक्त अभियान चलाए जाने की जरूरत है। वहीं गांजा तस्करी को जड़ से खत्म करने दोनों ही राज्यों की पुलिस यदि मिलकर कार्य करती है, तो निश्चित तौर पर नशा के इस अवैध कारोबार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकेगा। गांजा के पैदावार और परिवहन को रोका जा सकता है। इसे लेकर इमानदारी से कोशिश जरुरी है।
जहां हो रही है गांजा की पैदावार,वहीं पर रोक नहीं
ओडि़शा राज्य के कोरापुट और छत्तीसगढ़ राज्य की बस्तर संभाग की अगर गांजा प्रकरण के मामले में तुलना की जाए, तो बस्तर पुलिस के मुकाबले ओडि़शा पुलिस थानों में विगत चार वर्षों में केवल 20 फीसदी मामलों पर कार्रवाई की गई है। जबकि सीमावर्ती राज्य में ही गांजा की पैदावार और खरीदी बिक्री का कारोबर चल रहा है। जहां गांजा खरीदने तस्कर पहुंचते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओडि़शा सरकार और पुलिस इसकी अनदेखी कर रहे हैं।
अधिकांश मामलों में पुलिस को देते हैं चकमा
गांजा तस्कर (marijuana smuggling) अधिकांश मामलों में पुलिस को चकमा देने कामयाब होते हैं। दस में से एक-दो मामलों में ही मुखबीर की सूचना पर ही पुलिस तस्करों को पकड़ पाती है। यदि गांजा तस्करी में पुलिस की कार्रवाई इतनी मजबूत होती, तो शायद ही गांजा तस्कर लंबी दूरी तय कर पुलिस का जोखिम लेने आते।
गांजा तस्करों की इतनी बड़ी संख्या में गिरफ्तारी के बावजूद तस्कर सक्रिय हैं। हालांकि पुलिस की कार्रवाई से कुछ हद तक तस्करी पर लगाम लग रहा है। गांजा केवल अन्य राज्यों में नहीं छत्तीसगढ़ के बड़े शहरों में ही पहुंच रहा है। हाल ही में पुलिस ने 102 किलो गांजा रायपुर ले जाते हुए पकड़ा था।
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Published on:
17 Jul 2019 06:27 pm
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