scriptकोर्ट में पेश हुए बुजुर्ग ने जब सुनाई दर्द भरी फ़रियाद तो भावुक जज ने जो किया वो है काबिले तारीफ | Chhattisgrah News: District Judge pay loan of old couple in Kanker | Patrika News

कोर्ट में पेश हुए बुजुर्ग ने जब सुनाई दर्द भरी फ़रियाद तो भावुक जज ने जो किया वो है काबिले तारीफ

locationकांकेरPublished: Jul 14, 2019 07:40:38 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

Chhattisgrah News: कर्ज के बोझ से दबे बुजुर्ग कोर्ट पहुंचे और जज जब ने उनकी तकलीफ सुनी तो भावुक हो गए

Kanker district court case

कोर्ट में पेश हुए बुजुर्ग ने जब सुनाई दर्द भरी फ़रियाद तो भावुक जज ने जो किया वो है काबिले तारीफ

कांकेर. Chhattisgrah News: आज के दौर में हम हमेशा इंसानियत के खत्म होने की बात करते हैं लेकिन कई ऐसी घटनाएं है जो हमे इंसानियत पर यक़ीन करने के लिए मजबूर कर देती है। ऐसी ही एक अजीब ओ गरीब घटना कांकेर में घटी है। जहाँ जज के सामने एक ऐसा मामला आया को की वो अपने आप को भावुक होने से नहीं रोक सके। इसके बाद उन्होंने जो किया उसकी वजह से क्षेत्र के लोग उनकी तारीफ के कसीदे पढ़ रहे हैं।

एजुकेशन सिटी में मजदूरी कि आग में झुलस रहे बचपन को बीइओ ने दिखाई नयी राह

जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग दम्पति ने बैंक से लोन लिया था लेकिन 20 हजार रुपये का लोन नहीं चुका पाने के कारण बैंक ने उन्हें नोटिस भेजा। इसके बावजूद वो लोन नहीं चूका सके। जिसके बाद बैंक ने आगे की कार्यवाही की जिसके बाद मामला नेशनल लोक अदालत में जा पहुंचा। जज के सामने जब दोनों बुजुर्ग कोर्ट पहुंचे और जज के सामने अपनी व्यथा सुनाई तो जज हेमंत सराफ का दिल पसीज गया और उन्होंने खुद ही उनका कर्ज चूका दिया और उन्हें कर्ज से मुक्ति दिला दी।

महज छः हजार नहीं चूका पाएं थे बुजुर्ग

नक्सल प्रभावित आमाबेड़ा के ग्राम कोलरिया के रहने वाले धन्नुराम दुग्गा (80 वर्ष) अपनी पत्नी नथलदेई दुग्गा (70 वर्ष) के साथ बैंक के नोटिस पर जिला न्यायालय में आयोजित नेशनल लोक अदालत में पहुंचे थे। उन्होंने गांव में अपना घर बनाने लिए बैंक से 20 हजार रुपये का कर्ज लिया था। 14 हजार रुपये उन्होंने बैंक को लौटा दिए लेकिन आर्थिक स्थिति के कार शेष छह हजार रुपये की राशि बकाया थी।

हत्यारिन माँ के गुनाहों की सजा भुगत रहा मासूम, बाप ने लगाईं थी मदद की गुहार और फिर…

तकलीफ सुन भावुक हो गए जज, खुद चुकाया उनका कर्ज

13 जुलाई को जब दोनों बुजुर्ग कोर्ट में पेश हुए तो उन्होंने को बताया की उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है और ना ही कोई संतान ही है जो यह ऋण चूका सके। वृद्धा पेंशन और कोटे से मिलने वाले चावल के सहारे वो जैसे तैसे गुजारा कर रहे हैं।जिला एवं सत्र न्यायाधीश हेमंत सराफ ने जब वृद्ध दंपति की तकलीफ सुनी तो भावुक हो गए।

पुलिस के जांच की गति देख कछुए को भी आ जायेगी शर्म, 4 साल बाद भी आरोपी काट रहे मौज

उन्होंने बैंक के अधिकारी को आपसी समझौते से मामले को खत्म करने के लिए बुलाया, जिस पर बैंक अधिकारी ने बताया कि बैंक के नियम अनुसार कम से आधी राशि भी जमा किये जाने पर ही मामले को राइट ऑफ किया जा सकता है। लेकिन बुजुर्ग जोड़े के पास बैंक को देने के लिए तीन हजार रुपये भी नहीं थे। बुजुर्गों की हालत देखते हुए न्यायाधीश हेमंत सराफ ने स्वयं ही तीन हजार रुपये बैंक को देकर आपसी समझौते के आधार पर मामले को खत्म करने का निर्देश दिया।

घर जाने के भी नहीं थे पैसे

कोर्ट पहुंचे बुजुर्ग जोड़े आर्थिक स्थिति का अंदाजा आप इसीबात से लगा सकते हैं की कोर्ट से बरी होने के बाद उनके पास घर जाने के लिए भी पैसे नहीं थे। जज को जब यह बात पता चली तो घर वापस जाने के लिए भी उन्हें एक हजार रुपए दिए। जिसके बाद जज साहब का शुक्रिया अदा कर दोनों बुजुर्ग अपने घर लौट गए।
Chhattisgrah News पढ़ने के लिए यहाँ CLICK करें।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो