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अधिवक्ता हत्याकांड में क्राइम ब्रांच पर उठ रहे सवाल, सिफारिश न मानने पर एसओ को मिला ट्रांसफर

सकारात्मक परिणाम न आने पर आगे की रणनीति भी तय की जायेगी।

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सुलतानपुर। अधिवक्ता ओंकारनाथ यादव हत्याकांड के खुलासे पर लंभुआ बार एसोसिएशन ने सवाल खड़ा कर दिया है। मृतक अधिवक्ता के आश्रितों को आर्थिक सहायता दिलाने एवं निष्पक्ष तफ्तीश के लिए आठ सदस्यीय कमेटी गठित की है जो दस दिन के भीतर सकारात्मक परिणाम के लिए प्रयास करेंगे। सकारात्मक परिणाम न आने पर आगे की रणनीति भी तय की जायेगी।

गौरतलब है कि बीते 19 अप्रैल को चांदा कोतवाली क्षेत्र के इन्दौली गांव निवासी और लम्भुआ बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव ओंकार नाथ ? यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। अधिवक्ता के भाई ने तीन अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। 15 मई को क्राइम ब्राांच प्रभारी आजाद केशरी एवं चांदा थानाध्यक्ष रहे सुरेश कुमार मिश्रा ने हत्याकांड का खुलासा करते हुए बलराम यादव निवासी मदारडीह को जेल भेज दिया। अधिवक्तओं ने 16 मई को पूर्वाह्न 11 बजे तक खुलासा न होने की दशा में डीएम-एसपी का आवास घेरने की घोषणा की थी।

पुलिस ने बलराम यादव को गुपचुप जेल भेजा था। हत्या की वजह पुलिस जो बता रही है वह भी गले नहीं उतर रही है। पुलिस का कहना है कि ग्राम समाज की जमीन को लेकर यादव परिवारों के बीच विवाद है। कैलाशी देवी पत्नी विश्वनाथ यादव निवासी मदारडीह ने एसडीएम लंभुआ के यहां भू राजस्व अधिनियम की धारा 67ए के तहत वाद दाखिल किया है,जिसमें ओंकारनाथ यादव अधिवक्ता हैं। पुलिस का कहना है कि मुकदमें की पैरवी करने पर बलराम यादव ने शूटर लबि शंकर मिश्रा निवासी अकारीपुर तेवरान थाना आसपुर देवसरा जिला प्रतापगढ़ व एक अन्य साथी के साथ मिलकर गोली मारी। हत्या की साजिश में प्रमुख प्रतिनिधि विवेक मिश्रा भी शामिल हैं। पुलिस ने 19 मई को लबि शंकर मिश्रा को भी जेल भेज दिया। मृतक ओंकार यादव के परिजन पुलिस के खुलासे को लेकर शत-प्रतिशत आश्वस्त नहीं हैं। उनका कहना है कि बलराम यादव आैर लबि शंकर मिश्रा की गिरफ्तारी की सूचना पुलिस ने उन्हें नहीं दी। पुलिस यह भी विश्वास दिलाने में नाकाम है कि अधिवक्ता की हत्या बलराम यादव ने क्यों की। ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि विवेक मिश्रा आखिर हत्या की साजिश क्यों रचेंगे। इन तमाम सवालों के बीच सोमवार को लंभुआ बार एसोसिएशन अध्यक्ष इंद्रदेव सिंह,सचिव शीतला प्रसाद श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक बैठक सम्पन्न हुई,जिसमें दस दिन से चले आ रहे कार्य बहिष्कार को खत्म करने का निर्णय लिया गया,साथ ही मृतक अधिवक्ता के परिजनों को आर्थिक सहायता दिलाने एवं मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की दिशा में आठ सदस्यीय कमेटी गठित की गयी। कमेटी में सदस्य अधिवक्ता इंद्रसेन सिंह,शीतला प्रसाद श्रीवास्तव, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, रामसागर पाठक, राजेंद्र शुक्ला, मानिकलाल भास्कर, चौधरी उमेश,राधेश्याम यादव हैं। बार पदाधिकारियों का कहना है कि खुलासे की जो कहानी पुलिस बयां कर रही है,उस पर विश्वास नहीं हो रहा है। अधिवक्ता हत्याकांड की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।


...तो इसलिए लाइन हाजिर हुए एसओ चांदा

आखिर चांदा थानाध्यक्ष सुरेश मिश्रा को क्यों लाइन हाजिर किया गया। यह सवाल खासकर पुलिस एवं राजनीतिक हलके में चर्चा का विषय बना हुआ है। अधिवक्ताओं के दबाव पर जैसे-तैसे अधिवक्ता हत्याकांड पर खुलासा हुआ,जिसमें चांदा थाना एवं क्राइमब्राांच की टीम को दस हजार रूपये ईनाम की घोषणा एसपी अमित वर्मा ने की। वांछित शूटर लबि शंकर मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 19 मई को लबि शंकर को जेल भेजने के बाद चांदा एसओ के ऊपर गाज गिर गयी। चर्चा है कि अधिवक्ता ओंकारनाथ हत्याकांड में खेल क्राइम ब्राांच का है। लबि शंकर मिश्रा की गिरफ्तारी तीन दिन पहले हो चुकी थी,परिजनों ने उच्चाधिकारियों को जरिए फैक्स अनहोनी की आशंका जता दी थी। बावजूद इसके चांदा थानाध्यक्ष रहे सुरेश मिश्रा पर कुछ आैर करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था,जिसके लिए वह तैयार नहीं हुए। परिणाम स्वरूप उन्हें पुलिस लाइन में आमद करने का आदेश जारी कर दिया गया। चर्चा यह है कि अधिवक्ता हत्याकांड के खुलासे में क्राइमब्राांच की मनमानी चल रही है। जिससे पुलिस महकमे के कुछ अधिकारी सहमत नहीं हैं।


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