
सुलतानपुर. Raksha Bandhan 2021- रक्षाबंधन 22 अगस्त को है। भाई-बहन के पवित्र प्रेम का त्योहार श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है, लेकिन इस बार दुर्लभ योग के कारण यह सावन पूर्णिमा पर धनिष्ठा नक्षत्र में पड़ रहा है। इस दिन शोभन योग भी है, जिसके चलते यह त्योहार इस बार बहुत ही खास होने जा रहा है। आचार्य डॉ तिवारी का कहना है कि इस बार रक्षाबंधन पर ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जो 474 साल बाद बन रहा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले यह दुर्लभ योग 11 अगस्त 1547 को बना था। 11 अगस्त 1547 को भी ग्रहों की ऐसी ही स्थिति बनी थी, जब धनिष्ठा नक्षत्र में रक्षाबंधन मनाया गया था और सूर्य, मंगल और बुध एक साथ ऐसी स्थिति में आए थे। आचार्य तिवारी का कहना है कि रक्षाबंधन पर ऐसा संयोग भाई-बहन के लिए अत्यंत लाभकारी और कल्याणकारी रहेगा।
आचार्य डॉ. शिव बहादुर तिवारी का कहना है कि सालों बाद इस बार रक्षाबंधन पर एक महासंयोग भी बन रहा है। आचार्य डॉ. तिवारी बताते हैं कि 22 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार राजयोग में आएगा। अमूमन हर साल राखी पर भद्रा का आंशिक साया भी रहता था, लेकिन इस बार नहीं रहेगा। इसके कारण बहनें पूरे दिन भाई को राखी बांध सकेंगी। इस बार जो सबसे खास बात होगी वह यह है कि कुंभ राशि में गुरु की चाल वक्री रहेगी और चंद्रमा भी वहां मौजूद रहेगा। गुरु और चंद्रमा की मिलन से रक्षाबंधन पर गज केसरी योग बन रहा है जो दुर्लभ योग होता है।
गजकेसरी योग और आम जीवन में इसका प्रभाव
आचार्य डॉ शिव बहादुर तिवारी के अनुसार, गजकेसरी योग से इंसान की महत्वाकांक्षाएं निर्विघ्न पूर्ण होती हैं। इस योग से मनुष्य को धन संपत्ति, मकान, वाहन या मनचाही वस्तुएं प्राप्त होती हैं और मनुष्य को सुखों की प्राप्ति होती है। गज केसरी योग से राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान की भी प्राप्ति होती है।
इस योग से किसे नहीं होगा लाभ
आचार्य तिवारी ने बताया कि जब कुंडली में चंद्रमा और गुरु केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर बैठे हों तो गज केसरी योग बनता है। यह योग लोगों को भाग्यशाली बनाता है, लेकिन जिस मनुष्य की कुंडली में बृहस्पति या चंद्रमा अगर कमजोर है तो इस योग से उस मनुष्य को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिल पाता है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
आचार्य डॉ. शिव बहादुर तिवारी ने बताया कि इस बार रक्षा बंधन पर बहनों को भाइयों के हाथों में राखी बांधने के लिए 12 घंटे 13 मिनट की शुभमुहूर्त रहेगी। उन्होंने कहा कि सुबह 5.50 से लेकर शाम 6.03 तक किसी भी समय राखी बंधा कर रक्षाबंधन मना सकते हैं। वहीं, भद्रा काल 23 अगस्त को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
Updated on:
22 Aug 2021 05:43 am
Published on:
21 Aug 2021 07:00 pm
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