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हर दिन सैकड़ों लोगों को काट रहे कुत्ते, अस्पतालों में नहीं मिल रहे एंटी-रैबीज इंजेक्शन

सुलतानपुर जिला अस्पताल में हर दिन करीब 175 मरीज ऐसे आते हैं, जिन्हें कुत्ते ने काटा होता है

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anti rabies injection

सुल्तानपुर. इस दिनों कुत्तों का संकट सरकार के सामने मुंह खोले खड़ा है। आलम ये है कि एक तरफ सीतापुर में जहां कुत्तों मासूम को नोच डाल रहे हैं, वहीं यूपी के जिला अस्पतालों में रैबीज इंजेक्शन का अकाल पड़ गया है। गुरुवार को सुलतानपुर जिला अस्पताल में आवारा कुत्तों ने तीन मरीजों को काट लिया। डॉक्टरों ने उनका मरहम पट्टी तो किया, लेकिन एंटी रैबीज वैक्सीन नहीं दिया।

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि प्रतिदिन जिले में कुत्तों के काटने से घायलों की संख्या बढ़ती जा रही है। अकेले सुलतानपुर जिला अस्पताल में हर दिन करीब 175 मरीज ऐसे आते हैं, जिन्हें कुत्ते ने काटा होता है। यह आंकड़ा केवल जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों का है।

सुलतानपुर में भी कुत्तों का आतंक
सीतापुर के बाद अब सुलतानपुर में भी कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। जिले में रोजाना बड़ी संख्या में कुत्तों के काटने से घायल हुए मरीज जिला अस्पताल आते हैं। लेकिन यहां रैबीज इंजेक्शन ही नहीं मिलता। रैबीज इंजेक्शन लगवाने के लिये मरीजों को सिफारिश करवानी पड़ रही है। गुरुवार को जिला अस्पताल में ही तीन लोगों को आदमखोर कुत्तों ने काट लिया, लेकिन उन्हें भी जरूरी इंजेक्शन नहीं मिला। वजह बताई इंजेक्शन की कमी। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. योगेंद्र यति ने कहा कि कभी-कभी एंटी रैबीज के इंजेक्शन की कमी पड़ जाती है। यह सच है कि इस समय कुत्ते काटने के मरीजों की संख्या काफ़ी बढ़ गई है।

मुख्य चिकित्साधिकारी बोले- ये हमारा काम नहीं
बाहर की तो छोड़िये जिला अस्पताल में भी कुत्तों का आतंक कायम है। सुलतानपुर जिला अस्पताल में दर्जनों की संख्या में आदमखोर कुत्तों का झुंड देखा जा सकता है। ये कुत्ते आये दिन लोगों को काट रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने आंखों पर काला चश्मा सा पहन रखा है। रैबीज इंजेक्शन लगा रहे फार्मासिस्ट ने कहा कि कुत्ते ने काट लिया है तो क्या किया जा सकता है। ये कुत्ते पालतू कुत्ते तो हैं नहीं? मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. योगेंद्र यति ने कहा कि हम कुत्तों की परमानेंट रोकथाम नहीं कर सकते हैं। यह कार्य जिला प्रशासन तथा नगरपालिका का है।

आखिर कब होगी कार्रवाई
क्या स्वास्थ्य महकमा और जिला प्रशासन को आदमखोर कुत्तों द्वारा किसी की जान लेने का इंतजार है या फिर किसी शासनादेश आने का इंतज़ार तो नहीं। आखिर जिला प्रशासन इन आवारा कुत्तों का कुछ इंतजाम क्यों नही करता?