
पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग दीपावली के दिन पूजन के बाद अपनी-अपनी कलम रख देते हैं और फिर यम दुतिया के दिन कलम-दवात की पूजा करने के बाद ही कलम उठाते हैं
सुलतानपुर. पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग दीपावली के दिन पूजन के बाद अपनी-अपनी कलम रख देते हैं और फिर यम दुतिया के दिन कलम-दवात की पूजा करने के बाद ही कलम उठाते हैं। कहा जाता है कि भगवान राम के राजतिलक में आमंत्रण पत्र न मिलने से कायस्थों के पूर्वज भगवान चित्रगुप्त अपने अपमान से नाराज होकर अपनी कलम रख दी थी। बताते हैं कि जब भगवान चित्रगुप्त प्रभु राम के राज्याभिषेक पर आमंत्रण पत्र न मिलने से नाराज होकर अपनी कलम रख दिया था, उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था। तभी से परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं, यानी उस दिन कायस्थ समाज के लोग किसी भी तरह का का हिसाब-किताब व लेखा-जोखा नही करते हैं।
पंडित जयप्रकाश त्रिपाठी बताते हैं कि जब भगवान राम लंकापति रावण को मारकर अयोध्या लौट रहे थे और यह समाचार उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रखकर राज्य चला रहे भरत को मिला तो भरत ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए गुरु वशिष्ठ को भगवान राम के राज्य तिलक के लिए सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित करने के लिए आमंत्रण पत्र (पत्री) भेजने को कहा। गुरु वशिष्ठ ने भगवान राम के राजतिलक के लिए सभी राजाओं और देवी-देवताओं को आमंत्रित करने के लिए पत्री भेजने का काम अपने शिष्यों को सौंप दिया। गुरु वशिष्ठ के शिष्य भूलवश भगवान चित्रगुप्त को आमंत्रित नहीं कर पाए। राजतिलक महोत्सव में जब सभी देवी-देवता आ गए और भगवान राम को सभामण्डप में भगवान चित्रगुप्त कहीं दिखाई नहीं दिये तो भगवान राम ने भरत से पूछाकि भगवान चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे हैं। उसके बाद मालूम हुआ कि गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को आमंत्रित नहीं किया गया था, जिसके कारण भगवान चित्रगुप्त नहीं आये।
सब कुछ जान चुके थे चित्रगुप्त
आमंत्रित नहीं किये जाने से नाराज भगवान चित्रगुप्त सब जान चुके थे। उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा- जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया। सभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो पाया कि स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे। प्राणियों का लेखा-जोखा न लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था कि किस प्राणी को क्या दण्ड दिया जाए और किस प्राणी को कहां भेजा जाए। तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान चित्रगुप्त के मंदिर को स्थापित किया गया। अयोध्या महात्मय में भी इसे श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है। धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्य रूप से श्रीधर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थयात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता)।
स्तुति के बाद 24 घंटे बाद उठाया कलम
भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद चित्रगुप्त ने लगभग चार पहर (24 घंटे ) बाद पुन: कलम- दवात की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा-जोखा लिखने का कार्य आरम्भ किया। कहते हैं तभी से कायस्थ दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और यमदुतिया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते हैं।
Published on:
29 Oct 2019 01:25 pm
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