बीते वर्ष मार्च में जब संक्रमण की पहली लहर ने सूरत को अपनी चपेट में लेना शुरू किया था, मनपा प्रशासन ने कोरोना पर काबू पाने के लिए कई अभिनव प्रयोग किए थे। इनमें पहला प्रयोग प्रभावित क्षेत्र को क्लस्टर कर कंटेनमेंट जोन बनाना था। संक्रमण का पहला मामला हालांकि अठवा जोन से मिला था, लेकिन पूरे प्रभावित क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाने की शुरुआत रांदेर जोन से हुई थी। उसके बाद शहर में जगह-जगह कंटेनमेंट जोन बने और आइलैंड स्ट्रेटेजी समेत कई अन्य स्टे्रटेजी पर मनपा प्रशासन ने अमल शुरू किया था। उस वक्त यह प्रयोग खासे प्रभावी साबित हुए थे और मनपा प्रशासन ने शहर की बेफिक्र जीवनशैली के बावजूद संक्रमण पर काबू पाने में काफी हद तक सफलता पाई थी।
संक्रमण की दूसरी लहर पहली लहर से ज्यादा खतरनाक तरीके से शहर को अपने कब्जे में ले रही है। लोगों में इस बार कोरोना को लेकर डर भी कम हुआ है। ऐसे में मनपा प्रशासन के लिए संक्रमण पर काबू पाना भी मुश्किल हो रहा है। स्थितियां विकट होने के बावजूद फिलहाल लॉकडाउन की स्थिति निकट भविष्य में नहीं दिख रही। ऐसे में मनपा प्रशासन ने एक बार फिर पुरानी स्ट्रेटेजी पर अमल करना शुरू किया है। इसके तहत बीते कुछ दिनों से रास्तों पर बेरीकेड्स लगाने के साथ ही माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। इन जगहों पर चेतावनी के बैनर भी लगाए गए हैं। मनपा प्रशासन ने अब कंटेनमेंट जोन बनाकर लोगों की आवाजाही को भी बाधित करना शुरू कर दिया है। शहरभर में अलग-अलग क्षेत्रों में गल्ली-मोह्हलो और सोयायटियो को सील किया जा रहा है। इन जगहों पर बैनर लगाकर लोगों को चेतावनी भी दी जा रही है।