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Admission 2018 : कम परिणाम से खाली रह सकती हैं सीटें

पांच साल में इंजीनियर की खाली सीटों का आंकड़ा 23 हजार के पार पहुंचा

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सूरत.

गुजरात माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं विज्ञान वर्ग परीक्षा का परिणाम कम आने से इंजीनियर की सीटें और अधिक रिक्त रह जाने का खतरा मंडराने लगा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल विज्ञान वर्ग ए ग्रुप के विद्यार्थी कम पास होने से सीटें रिक्त रहने की चिंता खड़ी हुई है। सीटें रिक्त रहने से स्वनिर्भर इंजीनियङ्क्षरग संस्थानों को नुकसान हो सकता है। हर साल इंजीनियर की हजारों सीटें रिक्त रह जाती हैं।
गुजरात माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 12वीं विज्ञान वर्ग का परिणाम गुरुवार को जारी किया था। पिछले छह साल में इस साल परिणाम सबसे कमजोर रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल परिणाम 8.9 प्रतिशत गिरा है। इसका सीधा असर प्रवेश पर पडऩे वाला है। विज्ञान वर्ग के तीन ग्रुप ए, बी और एबी हैं। ए ग्रुप के विद्यार्थी इंजीनियर में प्रवेश की दौड़ में आगे रहते हैं। इस साल तीनों ग्रुप का परिणाम कम रहा है। ए ग्रुप में 44,545 विद्यार्थी ही पास हुए हैं, जबकि पिछले साल 55,547 विद्यार्थी पास हुए थे। राज्यभर में इंजीनियर की 66 हजार से अधिक सीटें हैं। सीटों के मुकाबले पास होने वाले विद्यार्थी कम होने से सीटें खाली रहने का खतरा मंडराने लगा है।
पिछले पांच साल से इंजीनियर में रिक्त सीटों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले आलम यह था कि इंजीनियर की सीटें कम थीं और प्रवेश के दावेदार अधिक होते थे, लेकिन अब उल्टा हो गया है। 2013 में 10,778, 2014 में 23,079, 2015 में 28,102, 2016 में 28,338 और 2017 में 34,529 सीटें रिक्त रह गई थीं।

छूट से भी नहीं भरतीं सीटें
इंजीनियङ्क्षरग में प्रवेश का जिम्मा एसीपीसी को सौंपा गया है। प्रवेश की प्रक्रिया ऑनलाइन और सेंट्रलाइज होती है। जब सीटें रिक्त रह जाती हैं तो एसीपीसी प्रवेश का जिम्मा शैक्षणिक संस्थानों को सौप देता है। फिर भी सीट रिक्त रह जाएं तो अन्य ग्रुप को भी प्रवेश देने की घोषणा कर दी जाती है। यह सब करने के बावजूद हजारों सीटें रिक्त रह जाती हैं।

पांच साल में इंजीनियर में प्रवेश
वर्ष सीटें प्रवेश रिक्त
2013 52,964 52,183 10,778
2014 71,039 47,960 23,079
2015 71,829 43,727 28,102
2016 65,947 37,616 28,338
2017 68,113 33,584 34,529