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विद्यार्थियों की अरुचि का शिकार हुआ आर्किटेक्चर पाठ्यक्रम

इंजीनियङ्क्षरग की तरह आर्किटेक्चर में विद्यार्थियों को रुचि नहीं रही है। यह हम नहीं प्रवेश के आंकड़े जता रहे हैं। राज्य में आर्किटेक्चर...

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Architecture course of learning disabilities of students

Architecture course of learning disabilities of students

सूरत।इंजीनियङ्क्षरग की तरह आर्किटेक्चर में विद्यार्थियों को रुचि नहीं रही है। यह हम नहीं प्रवेश के आंकड़े जता रहे हैं। राज्य में आर्किटेक्चर पाठ्यक्रम में प्रवेश के दो राउण्ड पूरे हो चुके हैं, फिर भी तमाम सीटें खाली पड़ी हैं।

राज्य में इंजीनियङ्क्षरग की कुल1367 सीटें हैं, इनमें से 550 सीटें अभी भी खाली पड़ी हंै। राज्य के कई आर्किटेक्चर कॉलेज में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। कई कॉलेज ऐसे हैं जिनमें मात्र एक ही विद्यार्थी ने प्रवेश लिया है। अब इन रिक्त सीटों को भर पाना मुश्किल प्रतीत हो गया है।

आर्किटेक्चर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए पहले विद्यार्थियों के बीच कड़ी स्पर्धा होती थी। पहले ही राउण्ड में अधिकांश सीटें भर जाती थी। तगड़ा डोनेशन देकर भी प्रवेश लेते थे। वहीं, अब इसका उल्टा हो गया है, सीटें हंै, लेकिन प्रवेश लेने वाला कोई नहीं है। राज्य में आर्किटेक्चर की 1367 सीटों में प्रवेश का जिम्मा एसीपीसी को सौंपा गया है। एसीपीसी ने प्रवेश के लिए दो राउण्ड का आयोजन किया। पहले राउण्ड में सीटें रिक्त रहने के कारण दूसरा राउण्ड आयोजित किया गया। फिर भी सीटें खाली रह गई हैं। राज्यभर में 817 विद्यार्थियों ने ही आर्किटेक्टर में प्रवेश लिया है। 550 सीटें आज भी खाली पड़ी हैं, जिन्हें भर पाना अब मुश्किल हो गया है।

एक भी विद्यार्थी नहीं मिला

राज्य के नोबल आर्किटेक्चर कॉलेज के पास 40 सीटें हंै, लेकिन इसमें एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। गोकुल कॉलेज में 38 सीटों के सामने एक और मुद्रा आर्किटेक्चर कॉलेज की 40 सीटों के सामने एक विद्यार्थी ने ही प्रवेश लिया है। सूरत के महावीर स्वामी कॉलेज में 40 सीटों के सामने 4 और पी.पी.सवाणी कॉलेज में 30 सीटों के सामने 19 विद्यार्थयों ने ही प्रवेश लिया है। राज्य के कई कॉलेज ऐसे हंै जिनमें 3, 5 और 8 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश लिया है। एसीपीसी ने अब रिक्त सीटें भरने का जिम्मा कॉलेज को ही सौंप दिया है।

वीएनएसजीयू को भी नहीं मिले

वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में 120 सीटों के साथ आर्किटेक्टर का पाठ्यक्रम शुरू हुआ था। तब पहले ही राउण्ड में सारी सीटें भर गई थी। विश्वविद्यालय की लापरवाही के कारण सीटें कट कर 90 रह गईं। तब भी सारी सीटें भर गई थीं। तीसरे साल और 30 सीटें कम हुई और 60 सीटों पर प्रवेश हुआ। तब भी सारी सीटें भर गई थी। सीटें कट जाने के कारण दक्षिण गुजरात के विद्यार्थी नाराज हुए थे। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी गलती में सुधार नहीं किया। देखते देखते और 30 सीटें कट गई और हाथ में बस 30 सीटें ही रहीं। इसमें से भी इस साल आर्किटेक्चर काउंसिल ने 10 सीटें काट ली और मात्र 20 सीटों को ही मान्य रखा। इन 20 सीटों पर एसीपीसी ने प्रवेश दिया। इस बार भी 14 सीटों पर ही विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। 6 सीटें अभी भी रिक्त पड़ी हैं। वीएनएसजीयू के आर्किटेक्चर विभाग में सुविधाओं के अभाव के कारण 20 सीटें भर पाना भी मुश्किल हो गया है।