
अब संतवाणी से जागरूक होंगे सूरती
विनीत शर्मा
सूरत. देश अभी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है और विशेषज्ञों ने तीसरी लहर का अंदेशा जताना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण बालकों और छोटे बच्चों को तीसरी लहर के कहर से बचाना आसान नहीं है। इसके लिए अभी से तैयारी शुरू नहीं की तो आने वाले दिन खासे मुश्किलभरे साबित हो सकते हैं।
देश भले फिलवक्त कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा हो, संक्रमण की तीसरी लहर ने विकसित देशों में दस्तक देना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञ दीपावली के आसपास देश में तीसरी लहर का अंदेशा जताने लगे हैं। उनका मानना है कि देश में कोरोना का जिस तरह का साइकिल सामने आया है, उसमें तीसरी लहर से बच्चों को बचाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। उनके मुताबिक कोरोना की पहली लहर ने कोमोरबिड लोगों और आयुवृद्धों को सबसे पहले निशाने पर लिया था। हालांकि समय पर उपचार के कारण यूरोपीय देशों जैसी तबाही से हमें जूझना नहीं पड़ा था। संक्रमण की दूसरी लहर उन युवाओं तक भी पहुंच गई जो पहली लहर में कोरोना से बचे रह गए थे।
यह साइकिल इसी तरह चला तो बालक और छोटे बच्चे कोरोना की तीसरी लहर की जद में आ सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो 12 वर्ष से कम उम्र के इन बच्चों को संक्रमण से बचाना खासा चुनौतीभरा साबित हो सकता है। बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के विशेषज्ञों के मुताबिक दूसरी लहर से निकलते ही हमें तीसरी लहर से बचने के उपाय करने होंगे। इसके लिए एग्रेसिव स्ट्रेटजी बनाने की जरूरत है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का भी मानना है कि समय रहते तीसरी लहर से बचाव के उपाय नहीं किए गए तो आने वाले दिन खासे मुश्किल भरे हो सकते हैं। तीसरी लहर से निपटने के लिए अभी से स्ट्रैटजी बनानी होगी।
बच्चों पर भारी पड़ सकता है बार-बार म्यूटेशन
संक्रमण की दूसरी लहर में कोरोना का बार-बार म्यूटेशन विशेषज्ञों के लिए चुनौती बना हुआ है। चिकित्सकों का मानना है कि तीसरी लहर में इसका नया वैरिएंट सामने आ सकता है। यह वैरिएंट ज्यादा खतरनाक होगा और इस बार बच्चों को भी अपनी जद में ले सकता है। तीसरी लहर का यह वैरिएंट बच्चों के इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। अब तक संक्रमण का बच्चों पर गंभीर असर देखने को नहीं मिला है। चिकित्सकों का मानना है कि जिस तरह से म्यूटेशन हो रहा है, जल्द ही कोरोना का नया वैरिएंट बच्चों को भी अपनी चपेट में लेने लगेगा। खासकर कम उम्र बच्चों के लिए अपनी मुश्किल बताना भी आसान नहीं है। ऐसे मेंं उनमें संक्रमण और घातक हो सकता है।
बच्चों के टीकाकरण की पहल जरूरी
दवा कंपनियों ने 12 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों के लिए टीका खोज लिया है, लेकिन इसे फिलहाल देश में इजाजत नहीं मिली है। 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को संक्रमण से बचाने का कोई इलाज फिलहाल दुनिया के पास नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरी लहर से पहले बच्चों के लिए टीकाकरण की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही अभिभावकों को भी सतर्कता बरतनी होगी। चिकित्सकों के मुताबिक बच्चों में अचानक आने वाले परिवर्तनों पर नजर रखना बेहतर होगा।
समय रहते चिकित्सकीय सलाह जरूरी
संक्रमण आने वाले दिनों में बच्चों के लिए घातक साबित हो सकता है। जब तक बच्चों के टीकाकरण की व्यवस्था नहीं होती अभिभावकों को सतर्क रहने की जरूरत है। उनके व्यवहार में बदलाव या अचानक बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकी सलाह बड़ी मुश्किल से बचा सकती है।
डॉ. संजीव राव, बाल रोग विशेषज्ञ, सूरत
Updated on:
28 May 2021 06:21 pm
Published on:
28 May 2021 06:08 pm
बड़ी खबरें
View Allसूरत
गुजरात
ट्रेंडिंग
