
delhi mcd election तारीखों की गुगली में फसेंगे केजरीवाल!
विनीत शर्मा
सूरत. गुजरात का चुनाव भाजपा और आम आदमी पार्टी के लिए शतरंज के खेल की तरह हो गया है। तमाम शह-मात के बाद लग रहा है कि एक बार फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावी चौसर में उलझते दिख रहे हैं। एक ओर मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद से पार्टी में गुटबाजी जोर पकड़ती दिख रही है और इंद्रनील राजगुरु पार्टी छोड़ गए, वहीं निर्वाचन आयोग ने दिल्ली एमसीडी के चुनाव के लिए गुजरात विधानसभा के साथ ही क्लैश करती हुई तारीखों का ऐलान कर चुनावी गणित को उलझा दिया है। इंद्रनील के जाने से जहां पार्टी की सौराष्ट्र में संभावनाओं पर असर पडऩा तय माना जा रहा है, दिल्ली और गुजरात पर एक साथ फोकस करना भी आसान काम नहीं है। आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा कि भाजपा इस माइंड गेम में केजरीवाल को कितना उलझा पाती है।
अपनी एंट्री के साथ ही आम आदमी पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव को दिलचस्प मोड़ पर ला दिया था। सूरत और गांधीनगर स्थानीय निकाय में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के बाद भी लोग यह मानने को तैयार नहीं थे कि विधानसभा चुनाव में आप बड़ी ताकत बन पाएगी। गुजरात चुनावों के ऐलान के पहले से ही भाजपा और आप ने अपने-अपने हिस्से की चौसर बिछा ली थी और शह-मात का खेल शुरू कर दिया था। दिवाली के मौके पर अचानक नोटों पर लक्ष्मी गणेश के चित्र को लेकर दिए बयान ने एकबारगी भाजपा को सकते में डाल दिया था। कई दिनों तक चर्चा में रहे इस बयान पर भाजपा के लिए न उगलते बन रहा था ना ही निगलते। राजनीतिक विश्लेषक भी केजरीवाल के इस दांव को मौजूदा दौर की राजनीति का मास्टर स्ट्रोक मान रहे थे। केजरीवाल ने साफ कर दिया था कि दिवाली के बाद प्रचार जब आगे बढ़ेगा, वे सॉफ्ट हिंदुत्व की इमेज के साथ गुजरातियों के बीच जाएंगे। केजरीवाल के इस दांव को काउंटर करने के लिए गुजरात सरकार ने यूनिफार्म सिविल कोड के लिए कमेटी के गठन का ऐलान कर लक्ष्मी-गणेश के चित्र से गड़बड़ाए समीकरण को दुरुस्त करने का दांव चल दिया। हालांकि केजरीवाल के इस दांव ने उनके साथ जुड़ रहे मुस्लिम मतदाताओं में संशय जरूर पैदा किया, लेकिन महज दस फीसदी मत ताकत के चलते केजरीवाल यह खतरा उठाने को तैयार दिखे।
केजरीवाल ने भाजपा को फिर घेरने के लिए मुख्यमंत्री के चेहरे के नाम को मोहरा बनाया। लोगों से सुझाव मांगकर उन्होंने आप की ओर से इशुदान गढ़वी को मुख्यमंत्री का चेहरा बताया तो काउंटर में भाजपा को भी मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को ही कन्टीन्यू करने का ऐलान करना पड़ा। इससे पहले भाजपा ने तय कर रखा था कि पार्टी किसी चेहरे के साथ चुनाव में नहीं जाएगी। हालांकि आप का यह दांव फिलवक्त पार्टी के लिए बैकफायर करता दिख रहा है। इशुदान के नाम के ऐलान के बाद जहां आप प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया असहज दिखे, कांग्रेस छोडक़र आप में आए सौराष्ट्र के बड़े चेहरे इंद्रनील राजगुरु ने आप का दामन छोड़ घरवापसी कर ली। राजगुरु की घरवापसी से कांग्रेस को कितना फायदा होगा यह तो वक्त बताएगा, लेकिन जानकार इसे सौराष्ट्र में आप की संभावनाओं पर बड़ी चोट मान रहे हैं।
केजरीवाल इससे उबरते उससे पहले निर्वाचन आयोग ने दिल्ली एमसीडी के चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। दिल्ली एमसीडी और गुजरात चुनाव की तारीखों के क्लैश को बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
पहली बार लग रहा है कि केजरीवाल इस दांव में फंसते नजर आ रहे हैं। हिमाचल के बाद आप जहां गुजरात चुनाव से स्टैप बैक करने की स्थिति में नहीं है, दिल्ली एमसीडी को भी हल्के में नहीं ले सकती। दिल्ली एमसीडी चुनाव को लोकसभा 2024 और दिल्ली विधानसभा 2025 के सेमिफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने भी चुनावों की तारीख के ऐलान पर चुटकी लेते हुए संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े किए हैं। जानकार मानते हैं कि एक ही समय में दिल्ली और गुजरात को मैनेज करना केजरीवाल के लिए आसान नहीं है। हालांकि यह वक्त ही बताएगा कि दो नावों पर सवार होकर मंजिल तक पहुंचते हैं या नहीं, लेकिन फिलवक्त स्थितियां दिलचस्प बनती दिख रही हैं।
Published on:
08 Nov 2022 09:27 pm
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