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शौर्य-सहृदयता को लेकर गांधीजी ने बारडोली को बनाया था अहिंसा की प्रयोग भूमि

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ बारडोली का विशेष नाता रहा। आजादी की लड़ाई के समय बारडोली ने सरदार पटेल के नेतृत्व में अंग्रेजों को झुकने को...

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Gandhiji had created Bardoli with bravery about the use of non-violence land

Gandhiji had created Bardoli with bravery about the use of non-violence land

बारडोली।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ बारडोली का विशेष नाता रहा। आजादी की लड़ाई के समय बारडोली ने सरदार पटेल के नेतृत्व में अंग्रेजों को झुकने को मजबूर किया था। दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी के सत्याग्रह में बारडोली क्षेत्र के लोगों ने काफी मदद की थी। यहां के लोगों के शौर्य और सहृदयता को लेकर गांधीजी ने 1928 में अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू करने के लिए बारडोली को अहिंसा की प्रयोग भूमि के रूप में चुना था।

बारडोली के स्वराज आश्रम की मानद मंत्री निरंजना कलार्थी ने बताया कि भारत लौटने से पहले गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में सफल सत्याग्रह किया था। उस आंदोलन के समय गांधीजी के दल में व्यापार के लिए गए बारडोली के कई लोग शामिल थे। बड़ी संख्या में लोग अपना व्यापार-धंधा छोडक़र गांधीजी से जुड़ गए थे। उन्होंने आंदोलन में जिस वीरता और बलिदान का परिचय दिया, उसी के कारण गांधीजी ने बारडोली को अहिंसा की प्रयोगभूमि के लिए चुना।

गांधीजी ने सत्याग्रह के लिए दो विकल्प दिए थे, एक आणंद और दूसरा बारडोली। उस समय बारडोली के थाने में हत्या का एक भी मामला दर्ज नहीं था। इसलिए गांधीजी ने अहिंसा आंदोलन के लिए बारडोली को प्राथमिकता दी। 1927 मे जब अंग्रेज सरकार ने बारडोली के किसानों पर कर बढ़ाए तो यहां के किसान गांधीजी से मिलने साबरमती आश्रम पहुंचे थे। किसानों की शिकायत सुनने के बाद उन्होंने बारडोली सत्याग्रह की जिम्मदारी सरदार पटेल को सौंपी थी।

छह बार बारडोली आए

गांधीजी छह बार बारडोली आए थे। उन्होंने दांडी सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तारी के बाद प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक स्वराज नहीं मिलता, वह साबरमती आश्रम में पैर नहीं रखेंगे। जेल से रिहा बापू को सरदार पटेल ने बारडोली के स्वराज आश्रम में रहने के लिए निमंत्रण दिया। गांधीजी ने हर साल 10 दिसंबर से 10 जनवरी तक बारडोली में रहने का निर्णय किया। जब वह जेल में या किसी आंदोलन में होते थे तो बारडोली नहीं आ पाते थे। वह छह बार एक-एक महीने बारडोली में रुके।

सरदार पटेल के निवास स्थान कीऊपरी मंजिल उनका मुकाम हुआ करती थी। उनके इस मुकाम की देखभाल सरदार पटेल के निवास स्थान के साथ स्वराज आश्रम द्वारा की जाती है। निरंजना कलार्थी ने बताया कि बापू जब बारडोली आते थे तो सुबह छह बजे प्रभात फेरी के लिए निकलते थे। उनके निकलने का समय इतना सटीक होता था कि लोग गांधीजी को प्रभात फेरी करते हुए देखकर अपनी घड़ी का समय सेट कर लेते थे।