मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार सिर्फ सनातन धर्म में ही निहित हैं। सनातन धर्म की पद्घति से जिसका संस्कार नहीं हुआ, उसका कल्याण हो ही नहीं सकता। महाराज ने मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के चरित्र का वृतांत सुनाते हुए कहा कि धर्मविहीन मनुष्य पशु के समान है। धर्म से ही अर्थ, काम की पूर्ति संभव है। धर्म का जीवन में बहुत महत्व है। धर्म के गौ, ब्राह्मण, वेद, सत्य, दानशील जैसे सात धारक हैं। गुरुवार को महाराज का प्रवचन कार्यक्रम दोपहर तीन से साढ़े चार बजे तक होगा।
गौ पूजन का लाभ
शाम पांच बजे आयोजित 52 गौमाता के पूजन सहस्रार्चन कार्यक्रम में 108 जोड़ों ने भाग लिया। इनमें मुख्य यजमान राकेश गजानंद कंसल के अलावा विश्वनाथ पचेरिया, बजरंग गाडोदिया, अरुण पाटोदिया, शिवचंद सहू, मालाराम खोजा, मदन सियाग, नन्दलाल उपाध्याय, बजरंगलाल अग्रवाल, ललित जालान, महावीर शर्मा समेत अन्य कई शामिल थे।
11011 हनुमान चालीसा पाठ आज
श्रीसुरभि शक्ति आराधना महोत्सव में महानवमी के मौके पर श्रीरामायण प्रचार समिति की ओर से शुक्रवार को 11011 हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया जाएगा। सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में श्रद्धालु 1001 आसन पर भाग लेंगे। पाठ का आयोजन सुबह सात बजे से सिटीलाइट में अणुव्रत द्वार के पास महोत्सव स्थल पर किया जाएगा।
गौ-ब्राह्मण की प्रतिष्ठा ही सनातन की मूल
दोपहर आयोजित श्रीमद्देवी भागवत कथा में व्यासपीठ से त्र्यंबकेश्वर चैतन्य महाराज ने कहा कि गौ-ब्राह्मण की प्रतिष्ठा ही सनातन का मूल है। यदि गांधारी आंख पर पट्टी नहीं बांधकर बच्चों को संस्कार देती तो दुर्योधन पैदा ही नहीं होता। यदि पति धंधा व्यापार, धर्म आदि में व्यस्त है तो माताओं पर संस्कार की जिम्मेदारी होती है। आज लोग अपनी संतानों के लिए संपत्ति के 100 उपाय खोजते हैं, लेकिन संस्कृति एवं संस्कार के लिए उनके पास फुर्सत नहीं है। जब संस्कार विहीन संतान होगी तो न धन बचेगा और न ही धर्म। धर्म का आचरण करना बहुत कठिन है। मुख्य यजमान राकेश गजानंद कंसल एवं मीडिया प्रभारी सज्जन महर्षि ने बताया कि गुरुवार को दोपहर एक से तीन बजे तक श्रीमद् देवीभागवत कथा होगी।