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तीन सदी पुराना है रथयात्रा का सफर

पहले गलियों तक सीमित थी, अब शहर में चहुंओर जय जगन्नाथ

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सूरत

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Vineet Sharma

Jul 03, 2018

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तीन सदी पुराना है रथयात्रा का सफर

सूरत. चार धाम में शामिल पुरी धाम में आषाढ़ax शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेगी। रथयात्रा की धूमधाम द्वारकाधीश के गुजरात (अहमदाबाद, सूरत) में भी खूब रहेगी। सूर्यपुत्री तापी नदी की गोद में बसी सूरत नगरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का इतिहास तीन सदी पुराना है। पहले शहर की गलियों में ही हरेरामा-हरेकृष्णा गूंजता था, लेकिन पिछले एक दशक से आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के दिन इस महामंत्र की गूंज पूरे शहर में सुनाई देती है। लाखों श्रद्धालु भगवान के रथ की रास थामकर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं।

मान्यता है कि शहर में भगवान जगन्नाथ की पहली रथयात्रा महिधरपुरा के मोटा गोडिया गोपाल मंदिर से तीन सौ साल पहले मुगलकाल में की गई थी। यहां से निकलने वाली रथयात्रा शहर के परकोटा क्षेत्र के महिधरपुरा, रुद्रपुरा, रामपुरा क्षेत्र में भ्रमण करती है। वर्षों से यात्रा के गली-गली में स्वागत की परम्परा है। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भ्राता बलराम अलग-अलग रथ में सवार होकर आषाढ़ शुक्ल दूज को नगर भ्रमण पर निकलते हैं। महंत पद्मचरणदास महाराज के सानिध्य में दो साल पहले यहां यात्रा के दौरान भगवान ने पुरी धाम से आए मलमल के वस्त्र, शृंगार सामग्री से सज-धजकर नगर भ्रमण किया था।

जहांगीरपुरा के राधा-दामोदर इस्कॉन मंदिर में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ का अभिषेक और बीमार होने के बाद बंद गर्भगृह में सादी खिचड़ी, जौ का पानी, लेप आदि से उपचार और बाद में आषाढ़ शुक्ल दूज पर नगर भ्रमण रथयात्रा आदि परम्परागत धार्मिक विधान पूरे किए जाते है। 19 वर्षों से जारी इस्कॉन की रथयात्रा अब शहर की मुख्य रथयात्रा बन चुकी है। प्रति वर्ष दिल्लीगेट से जय जगन्नाथ के जयकारों के साथ 30 फीट ऊंचे शृंगारित रथ में सवार होकर भगवान नगर भ्रमण पर निकलते हैं। भगवान के रथ की रास हजारों हरिभक्तों के हाथों में होती है। छह घंटे में 14 किमी की दूरी तय कर यात्रा जहांगीरपुरा के इस्कॉन मंदिर पहुंचती है।

सीमित क्षेत्र में असीमित श्रद्धालु

अमरोली के लंकाविजय हनुमान मंदिर से 16 वर्षों से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन संत सीतारामदास महाराज समेत अन्य संतवृंद के सानिध्य में किया जा रहा है। हालांकि यहां से रथयात्रा का भ्रमण मात्र अमरोली और वेडरोड क्षेत्र में ही होता है। भगवान जगन्नाथ रथ में सवार होकर यहां हजारों श्रद्धालुओं को दर्शन देकर कृतार्थ करते हैं। यात्रा के दौरान मार्ग व्यवस्था समेत अन्य तरह की सभी व्यवस्थाएं सामाजिक और धार्मिक संगठनों के युवा कार्यकर्ता संभालते हैं। कई संस्थाओं और आयोजक समिति की ओर से प्रसाद वितरण किया जाता है।

पांडेसरा और सचिन में भी जय जगन्नाथ

शहर से थोड़ी दूर पांडेसरा और कनकपुर-कनसाड नगरपालिका क्षेत्र में भी ग्यारह वर्षों से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन किया जा रहा है। दोनों क्षेत्र में ओडिशावासी अधिक होने से रथयात्रा में पुरी के समान परम्परागत दृश्य देखने को मिलते हैं। पांडेसरा में यात्रा भगवान जगन्नाथ मंदिर से रवाना होती है, वहीं कनकपुर-कनसाड में उडिय़ा वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। पांडेसरा और सचिन क्षेत्र की रथयात्रा के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान के रथ की रास थामते हैं।