
अभियान पर अभियान, फिर भी तापी से नहीं हटा जलकुंभी का जाल
सूरत. शहर की लाइफलाइन तापी कई बरस से वेंटिलेटर पर है। प्रदूषण की हालत यह है कि शहर में तापी का जल कहीं भी सीधे आचमन लायक नहीं बचा है।
तापी के प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक एनजीओ की शिकायत पर मनपा आयुक्त समेत केंद्र और राज्य सरकार के आला अधिकारियों को नोटिस भेजा है। यह पहला मौका नहीं है, जब एनजीटी ने तापी को लेकर आंखें तरेरी हों। पहले भी एनजीटी तापी में बढ़ रहे प्रदूषण पर चिंता जता चुका है। इसके बावजूद न स्थानीय प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया, न राज्य सरकार ने। यही वजह है कि निजी कंपनियों का ही नहीं, मनपा का लिक्विड वेस्ट भी कई जगह सीधे तापी में बहाया जा रहा है। तापी शुद्धिकरण को लेकर मनपा प्रशासन चिंता जताता रहा है, लेकिन तापी में गिर रहे नालों को बंद करने में उसने उतनी तत्परता नहीं दिखाई।
पर्यावरण संरक्षण की नियामक संस्था नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पहले भी तापी की सेहत से हो रहे खिलवाड़ पर नाराजगी जताते हुए गाइडलाइन जारी की थी। एनजीटी की नसीहतें फाइलों में धूल फांक रही हैं। नदियों की सेहत पर पहले जारी हुई रिपोर्ट में तापी नदी उन शीर्ष नदियों में शामिल थी, प्रदूषण के कारण जिनका पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है। उस रिपोर्ट के बाद मनपा प्रशासन ने गंभीरता दिखाते हुए तापी शुद्धिकरण के प्रति चिंता जताई थी, लेकिन कागजी घोड़े ज्यादा दौड़े। पीने के पानी के लिए सूरती तापी पर निर्भर हैं।
इसके बावजूद नदी की सेहत से लगातार खिलवाड़ हो रहा है। कभी धार्मिक आयोजनों के बहाने तो कभी विकल्प के अभाव में गटर का गंदा पानी ट्रीट किए बिना ही नदी में बहाकर तापी को लगातार प्रदूषित किया जा रहा है। गणपति महोत्सव हो या अन्य आयोजन, धार्मिक अनुष्ठानों के नाम पर हर साल तापी में प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है।
Published on:
01 Aug 2018 09:33 pm
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