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लुप्त हो रहे होका वृक्ष को बचाने की जरूरत

समुद्र तट पर सौंदर्य बिखेरने वाला खजूर जैसा लाल फलों का पेड़10 मुंह वाले इस वृक्ष को स्थानीय लोग रावण ताड़ भी कहते हैं

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सूरत

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Sunil Mishra

Jun 01, 2019

patrika

लुप्त हो रहे होका वृक्ष को बचाने की जरूरत


दमण. रावण ताड़ के नाम से ग्रामीणों में मशहूर भारत में मात्र दमण-दीव में पाए जाने वाला वृक्ष होका आज लुप्त होने की कगार पर है। दीव तट पर पर्यटकों को आकर्षित करने वाला होका पेड़ दमण में केवल मोटी दमण किला विस्तार तक सिमट गया है और वहां भी देखरेख का अभाव है। अफ्रीका की मरुभूमि के बाद भारत के दमण-दीव में पाए जाने वाला होका खजूर जैसा पेड़ है। इसे डोम पॉम और हाइफेन डाइकोटमा आदि नामों से भी जाना जाता है। समुद्र तट पर लाल फलों वाले इस वृक्ष की मौजूदगी से प्राकृतिक सौन्दर्य में चार चांद लग जाते हैं। जानकारों के अनुसार पुर्तगीज शासन के समय दमण-दीव में होका के पेड़ लगाए गए थे। दीव में तो होका के काफी वृक्ष आज भी हंै, परन्तु दमण में वन विभाग ने इनको बचाने या बढ़ाने मेंं कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई है। कटाई के चलते होका वृक्ष अब दमण में अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं। दमण में आने वाले पर्यावरण प्रेमी पर्यटक इन वृक्षों के बारे में पूछताछ करते हैं तथा फोटो भी लेते हैं। इनकी संख्या घटते देख पर्यटक स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के प्रति आश्चर्य जताते हैं।
पेड़ों को बचाने का प्रयास होना चाहिए
होका दमण-दीव का स्थानीय वृक्ष बन चुका है। इनको बचाने का प्रयत्न होना चाहिए। कुछ समय में मानसून शुरू होने वाला है और इस बार होका के बीज बोने चाहिए। ताकि इन वृक्षों से दमण का आकर्षण भी बढ़े और खाने के लिए होका के फल भी मिलें।
बिजल नायर

अब फल नसीब नहीं होते
बचपन में इस होका के फल खाते थे, अब यह फल नसीब नहीं होते हैं। होका का ऊपरी भाग 10 मुंह जैसा दिखता है, इसीलिए स्थानीय भाषा में इसे रावण ताड़ कहा जाता है। इस वृक्ष को दमण-दीव की पहचान बनाने के लिए इसकी संख्या बढ़ानी चाहिए। लापरवाही के चलते होका कहीं इतिहास बनकर नहीं रह जाए।

दीव में होका के कई पेड़ हैं। दमण में भी नर्सरी बनाकर होका को बढ़ाने का एक बार प्रयास हो चुका है, परन्तु उसमें सफलता नहीं मिली थी। इस बार भी इसके लिए नई तकनीक देखी जा रही है।
मनोज नायक अधिकारी वन विभाग