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NOICE POLLUTION : ‘तेज आवाज में लाउड स्पीकर पर बज रहे अभद्र गाने बंद करवाओ’

शहर में ध्वनी प्रदूषण चरम पर...- पुलिस कंट्रोल रूम को रोज मिल रही करीब एक दर्जन शिकायतें

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NOICE POLLUTION :  ‘तेज आवाज में लाउड स्पीकर पर बज रहे अभद्र गाने बंद करवाओ’

NOICE POLLUTION : ‘तेज आवाज में लाउड स्पीकर पर बज रहे अभद्र गाने बंद करवाओ’

दिनेश एम.त्रिवेदी

सूरत. लाउड स्पीकर पर तेज आवास में लगातार अभद्र फिल्मी गाने बज रहे हैं, घर में किसी एक-दूसरे से बातचीत करना भी मुश्किल हो गया है। पिछले कुछ दिनों से कंट्रोल रूम तैनात पुलिसकर्मियों को लगातार इसी तरह के कॉल मिल रहे हैं। त्यौहारी माहौल के बीच शहर में ध्वनि प्रदूषण चरम पर हैं। नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ रही है, लेकिन जिम्मेदारों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से नियमों के उल्लंघन का सिलसिला जारी है।

पुलिस कंट्रोल रूम से जुड़े सूत्रों की माने तो पिछले कुछ दिनों से लाउड स्पीकर के उपयोग और ध्वनि प्रदूषण को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। अधिकतर शिकायतें सुबह जल्दी या फिर देर रात को आती है। लोगों की शिकायतें होती है कि लाउड स्पीकर पर तेज आवाज में अभद्र फिल्मी गाने बजाए जा रहे हैं। जिसकी वजह से घर में एक दूसरे से बात करना भी मुश्किल हो गया हैं। किसी का फोन कॉल अटेंड नहीं कर पा रहे हैं। सिरदर्द कर रहा है।

सूचना मिलने पर कंट्रोल रूम द्वारा पुलिस वैन को मौके पर भेजा जाता है। अधिकतर मामलों में वैन के मौके पर पहुंचने से पहले स्पीकर बजाने बंद कर दिए जाते हैं। मामला वहीं पर खत्म हो जाता हैं। अधिकतर मामलों में पुलिसकर्मियों द्वारा स्पीकर जब्त कर ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। जिसकी वजह से नियम तोडऩे वालों के हौसले बुलंद हैं।

मनचले कर रहे धार्मिक आस्था से खिलवाड़ :

इन दिनों शहर में पूरी श्रद्धा से गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। लेकिन कुछ मनचले रात-दिन लोगों से चंदा एकत्र पर आरती के लिए लाए गए लाउड स्पीकरों पर अभद्र फिल्मी गाने बजा कर न सिर्फ ध्वनि प्रदूषण फैला रहे हैं, बल्कि लोगों की धार्मिक आस्था के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं।

90 डेसिबल के आगे खतरा :

न्यू सिविल अस्पताल के ईएनटी विभाग के सहायक प्रोफेसर आनंद कुमार ने बताया कि यदि ध्वनि प्रदूषण 90 डेसिबल से अधिक हो तो यह आपके सुनने की क्षमता पर असर डालता हैं। अल्पकालिक असर में आपकी सुनने की क्षमता कुछ समय के लिए प्रभावित होती हैं।

प्रदूषण वाली जगह से निकलने के बाद भी कुछ घंटे तक आपको ठीक से सुनाई नहीं देता है। लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण झेलने पर स्थाई रूप से आपकी सुनने की क्षमता प्रभावित होती हैं। अति गंभीर मामलों में व्यक्ति पूरी तरह बहरा भी हो सकता है और सोचने- समझने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।


दिन और रात के ये है मापदंड :

ध्वनि प्रदूषण को लेकर चार अलग-अलग जोन बनाए गए हैं। जिसमें साइलेंट जोन में दिन में अधिकतम 50 व रात में 40 डेसिबल निर्धारित किए गए हैं। वहीं, औद्योगिक क्षेत्र में दिन में 75 व रात्रि में 70 डेसिबल, व्यवसायिक क्षेत्र में दिन में 65 व रात में 55 डेसिबल व रिहायशी इलाकों के दिन में 55 व रात्रि में 45 डेसिबल निर्धारित किए गए है। इस संबंध में पुलिस द्वारा समय समय पर निषेधाज्ञा भी जारी की जाती है, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है। इसके अलावा रात्रि दस बजे के बाद लाउड स्पीकर का इस्तेमाल नहीं करने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट सख्त गाइड लाइन है।

रिहायशी इलाकों में 75 डेसिबल से अधिक :

ध्वनि प्रदूषण पर रिसर्च करने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल इंस्टट्युट ऑफ टेक्नोलॉजी (एसवीएनआईटी) डॉ. दीपेश सोनाविया ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर सूरत टीयर-2 शहरों की श्रेणी में आता है। हमने जब स्टडी की थी तब आम दिनों में भी रिहायशी इलाकों में प्रदूषण का स्तर 75 डेसिबल से अधिक था। त्यौहारों व अन्य कार्यक्रमों के समय लाउड स्पीकर का उपयोग होने पर प्रदूषण का स्तर बहुत ही अधिक बढ़ जाता है।

इनका कहना :

सुबह से शाम तक लाऊड स्पीकर के इस्तेमाल को लेकर दस शिकायतें मिलती है। पिछले कुछ दिनों से लगातार शिकायतें मिल रही है। शिकायत मिलने पर पीसीआर को भेज कर स्पीकर बंद करवाए जाते हैं। हमारा काम सूचना देना होता है। आगे कानूनी कार्रवाई संबंधित थाना पुलिस द्वारा की जाती है।
- आईएन परमार (सहायक पुलिस आयुक्त, कंट्रोल रूम)