देर रात पत्रिका टीम को रेलवे स्टेशन के पास राजस्थान के सीकर जिले के नीम का थाना निवासी छगनलाल कुमावत (40) मिले जो रात में रेलवे स्टेशन पर फंस गए थे। वे मुंबई जाने के लिए सीकर से किसी परिचित के साथ कार में अहमदाबाद तक आए थे। वहां शहर के बाहर से बस में सवार हुए और नौ बजे सूरत पहुंचे।
दिल्ली गेट के पास सडक़ किनारे खड़े दो- तीन रिक्शा चालक मिले। उन्होंने बताया कि फिलहाल रात में 75 ऑटो रिक्शा का स्टेशन पर स्टैण्ड है। कर्फ़्यू के पहले दिन शनिवार रात स्टैण्ड चालू था। रविवार रात नौ बजते ही पुलिस ने स्टैण्ड खाली करवा दिया। रात्रि कर्फ़्यू के दौरान सुबह तक आधा दर्जन स्टेशन पर आती है। इनमें करीब 1200 यात्री आते है। ऐसे में न सिर्फ हमारे जैसे रात में रिक्शा चलाने वालों के लिए, बल्कि यात्रियों के लिए भी मुश्किल होगी। क्योंकि कैब की संख्या कम है।
पुलिस ने रात्रि कर्फ़्यू का सख्ती से अमल करवाने की बात की गई थी, लेकिन रविवार रात दस बजे कई मुख्य चौराहों पर एक भी पुलिसकर्मी नजर नहीं आया। गोड़ादरा क्षेत्र के सबसे बड़े चौराहे महाराणा प्रताप सर्कल पर जहां आम दिनों में भी रात में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं।
रात को घौड़दौड़ रोड़ पर रहने वाली एक महिला सहारा दरवाजा के पास फंस गई। वह वर्कशॉप के लिए महाराष्ट्र के नंदुरबार गई हुई थी। वहां से शाम चार बजे सूरत आने के लिए रवाना हुई। सीधी बस नहीं मिली तो नवापुर और फिर रात नौ बजे कडोदरा पहुंची। वह कड़ोदरा से रिक्शा में सूरत आना चाहती थी। रात्रि कर्फ़्यू के चलते कोई आने को तैयार नहीं था। कुछ रिक्शा चालक उसे घर पहुंचाने के 1200 से 1500 रुपए मांग रहे थे। घंटेभर इंतजार के बाद वह किसी वाहन के जरिए साढ़े दस बजे सहारा दरवाजा पहुंची। यहां प्वाइंट पर तैनात ट्रैफिक पुलिस के उप निरीक्षक डीबी ठाकोर ने अन्य पुलिसकर्मियों से बातचीत कर उन्हें सुरक्षित घर भेजने की व्यवस्था की गई।