
रेलवे बोर्ड चेयरमैन ने की एमएएचएसआर प्रोजेक्ट और सूरत स्टेशन के पुनर्विकास कार्य की समीक्षा
सूरत. पश्चिम रेलवे में रविवार को भारतीय रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं सीईओ अनिल कुमार लाहोटी ने मुंबई-अहमदाबाद एचएसआर कॉरिडोर (एमएएचएसआर) का निरीक्षण किया। उन्होंने कास्टिंग यार्ड 243, वायडक्ट और पुर्णा नदी पर निर्माण कार्य देखा। इसके बाद वह सूरत पहुंचे और आरएलडीए का प्रजेंटेशन देखते हुए चल रहे कार्य की जानकारी ली।
सूरत और उधना दोनों स्टेशनों को आधुनिक और विश्वस्तरीय स्टेशनों में बदलने का कार्य तेज गति से किया जा रहा है। वहीं बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर नेशनल हाई स्पीड रेल कोरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) द्वारा कार्य किया जा रहा है। भारतीय रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं सीईओ अनिल कुमार लाहोटी और पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक अशोक कुमार मिश्र ने रविवार सुबह मुंबई-अहमदाबाद एचएसआर कॉरिडोर का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां एनएचएसआरसीएल के प्रबंध निदेशक निदेशक राजेंद्र प्रसाद ने बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट की जानकारी दी। इसके बाद वह सूरत स्टेशन के पुनर्विकास के संबंध में निरीक्षण और प्रगति की समीक्षा की। रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) द्वारा सूरत स्टेशन के निर्माण कार्य की जानकारी दी। उन्होंने प्रोजेक्ट पर प्रजेंटेशन तैयार किया था, जिसमें स्टेशन पर अब तक हुए कार्य तथा आगामी दिनों में होने वाले कार्य के बारे में बताया। गौरतलब है कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के सूरत दौरे को लेकर रेलवे की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। सूरत तथा मुम्बई के अधिकारियों ने रेलवे बोर्ड चेयरमैन के संदर्भ में कोई भी जानकारी दिल्ली से दिए जाने की बात कही। दूसरी तरफ बुलेट ट्रेन साइट का दौरा करने के बारे में भी एनएचएसआरसीएल ने कोई जानाकारी साझा नहीं की।
गिट्टी-रहित स्लैब ट्रैक सिस्टम को समझा
एचएसआर प्रोजेक्ट में उपयोग की जाने वाली गिट्टी-रहित स्लैब ट्रैक सिस्टम (जे स्लैब ट्रैक सिस्टम के रूप में लोकप्रिय) का उपयोग किया जा रहा है। यह भारत की पहली एचएसआर परियोजना के लिए किया जा रहा है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी ने साइट पर ट्रैक स्लैब निर्माण, आरसी ट्रैक बेड निर्माण के बारे में समझा। सूत्रों ने बताया कि ट्रैक सिस्टम बिछाने के लिए बहुत उच्च स्तर के कौशल की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भारतीय इंजीनियरों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम किए जा रहे हैं। इस परियोजना में 1000 से अधिक भारतीय इंजीनियर्स और टेक्नीशियंस को 20 जापानी विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है।
Published on:
22 May 2023 09:00 pm
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