30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

SURAT NEWS: आसमान में इठलाती पतंगों पर दिखेगा कोरोना असर

दीपावली के कुछ दिन बाद सूरत के पतंग बाजार में होने लगती थी तैयारियां, इस बार सैकड़ों कारीगरों में छाई है मायूसी

3 min read
Google source verification
SURAT NEWS: आसमान में इठलाती पतंगों पर दिखेगा कोरोना असर

SURAT NEWS: आसमान में इठलाती पतंगों पर दिखेगा कोरोना असर

सूरत. भले ही साल नया लग जाएगा, लेकिन कोरोना महामारी का असर नए वर्ष 2021 के पहले पर्व मकर संक्रांति को भी प्रभावित करने से नहीं चूकेगा। सूरत के पतंग बाजार में फिलहाल स्थितियां तो सभी तरह से ऐसी ही बनी हुई है और आशंका जताई जा रही है कि अंदाजित दो सौ करोड़ का यह कारोबार इस बार आधे तक भी पहुंच जाए तो ठीक रहेगा। सूरत के पतंग कारोबार से करीब पांच हजार लोग घरेलू उद्योग के रूप में जुड़े हुए हैं।
गुजरात की औद्योगिक राजधानी सूरत नगरी में कोई भी पर्व-त्योंहार और उत्सव पूरी मौज-मस्ती के साथ मनाया जाता है और इसके पीछे बड़ी वजह अमे छे सुरती लाला...अर्थात मौज-मस्ती और धूमधाम से पर्वों को मनाने रीत मानने वाले। यहीं वजह है कि सूरत महानगर में कोई भी पर्व-त्योहार और उत्सव हो उस पर करोड़ों रुपए एक दिन में ही खर्च कर दिए जाते हैं। अब ऐसा ही पर्व मकर संक्रांति आने को तैयार है, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी ने सभी पर्व-त्योहार व उत्सवों के आयोजनों पर पानी फेरा है और इससे नए साल का मकर संक्रांति पर्व भी बाकी रहता नहीं दिख रहा है। सूरत के पतंग बाजार डबगरवाड़, रांदेर आदि में मकर संक्रांति की रोनक नहीं दिख रही है। क्षेत्र के सैकड़ों घरों में महिलाएं व परिवार के अन्य सदस्य पतंगें जरूर बना रहे हैं, लेकिन चेहरे पर पिछले वर्षों जैसी चमक नहीं है। डबगरवाड़ के पतंग कारोबारी सतीशभाई बताते हैं कि इस बार गत वर्ष की तुलना में आधा पतंग कारोबार भी हो जाए तो बेहतर रहेगा, क्योंकि कच्चा माल महंगा हो गया और कोरोना का भय अभी लोगों के मन से निकला नहीं है, उस पर रात्रि कफ्र्यू जारी है और आगे प्रशासन ना जानें किस तरह का निर्णय करें।

-कच्चा माल महंगा, बिक्री के आसार नहीं


रांदेर पतंग बाजार के नरेशभाई बताते हैं कि फिलहाल सूरत के पतंग कारोबार में 50 से 60 प्रतिशत की गिरावट है और दिसम्बर आधे से ज्यादा बीत गया, इस महीने में ही गत वर्षों तक अच्छा-खासा कारोबार हो जाता था। पतंग निर्माण के लिए त्रिवेणी, कलकत्ती, अजंता, सफेद बटर पेपर के अलावा प्लास्टिक, बांस की खपच्ची के भाव पिछले वर्ष 25 फीसद तक बढ़े थे। बांस की खपच्ची केरल-कर्नाटक से आती है जो कि वहां बाढ़ आने की वजह से देर से व महंगी होकर आई है। इस बार भी कच्चे माल की कीमत 5 से 10 फीसद महंगी हुई है। इसके विपरीत बिक्री के आसार में फिलहाल तो मजबूती नहीं दिख रही है।


-सूरत से जाती है दूर-दूर तक


सूरत के अलावा गुजरात में पतंग-मांझे-डोर का निर्माण जंबुसर, वड़ोदरा, नडिय़ाद, अहमदाबाद, खंभात आदि में बड़े पैमाने पर घरेलू उद्योग के रूप में होता है। पतंगों का सीजनेबल कारोबार होने से ज्यादातर हॉलसेल व्यापारी व निर्माता के अलावा छोटे दुकानदार वर्षों से एक-दूसरे के सम्पर्क में है। सूरत के पतंग बाजार से दक्षिण गुजरात से सभी छोटे-बड़े शहर-कस्बों के अलावा गांवों तक भी लाखों रुपए की पतंगें व डोर दिसम्बर से ही पहुंचना शुरू हो जाती है, यहां तक कि संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली व दमण-दीव के सिलवासा, दमण में भी सूरत से पतंगें थोक में भेजी जाती है।


-यूं पहुंचता है दो सौ करोड़ के पार


मकर संक्रांति पर्व भले ही एक दिन 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इसको लेकर लोगों में उत्साह एक महीने पहले से ही दिखने लग जाता है और उसमें भी बच्चे इस त्योहार के प्रति अधिक उत्साहित रहते हैं। सूरत के पतंग बाजार के व्यापारियों की मानें तो एक सौ करोड़ से ज्यादा का पतंग कारोबार तो मकर संक्रांति पर्व से ठीक चार-पांच दिन पहले तक ही हो जाता है। मकर संक्रांति पर्व पर पतंग-मांझे के अलावा तिल की वस्तुएं खाने-खिलाने व बांटने की भी परम्परा है और उस पर भी सुरती लाला दिल खोलकर पैसा खर्च करते हैं, लेकिन इस बार इस पर लगाम लगना तय है।