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कपड़ा उद्योग अब डिजिटल प्रिंटिंग की ओर

बदलते फैशन के साथ सूरत के कपड़ा उद्यमी अपने उत्पाद को नए रूप में ढाल रहे हैं। अब तक सूरत का कपड़ा उद्योग प्रिंटिंग और वर्क की साड़ी के लिए प्रख्यात...

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Textile industry now towards digital printing

Textile industry now towards digital printing

प्रदीप मिश्रा
सूरत।बदलते फैशन के साथ सूरत के कपड़ा उद्यमी अपने उत्पाद को नए रूप में ढाल रहे हैं। अब तक सूरत का कपड़ा उद्योग प्रिंटिंग और वर्क की साड़ी के लिए प्रख्यात था, धीरे-धीरे यहां डिजिटल प्रिंट का काम बढ़ा है। आज सूरत में डिजिटल प्रिंटिंग की अत्याधुनिक टैक्नोलॉजी वाली मशीनें हैं और प्रतिदिन 10 लाख मीटर कपड़ों पर डिजिटल प्रिंटिंग होती है।

कपड़ा उद्यमियों का मानना है कि सूरत के कपड़ा उद्योग को समय के साथ तालमेल करना पड़ेगा, नहीं तो व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। यहां के उद्यमी कभी मक्के के दाने से साड़ी बनाकर, कभी बनारस के कॉटन जैसी साड़ी तैयार कर और कभी बाहूबली प्रिंट वाली साडिय़ां बनाकर ग्राहकों की पसंद टटोलने का प्रयास करते रहते हैं। सूरत के उद्यमियों ने डिजिटल प्रिंटिंग पर काम करना शुरू किया है। वैश्विक बाजार और बड़े शहरों में फैशन की डिमांड को देखते हुए उद्यमी प्रिंटिंग वाले कपड़ों के साथ डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों के उत्पादन पर जोर दे रहे हैं।


कपड़ा उद्यमियों के अनुसार आने वाले दिनों में डिजिटल प्रिंट का काम ही ज्यादा रहेगा। जिस तरह से फैशन बदल रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि साड़ी, ड्रेस और गारमेंट में डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों की मांग बढ़ेगी। सूरत में चार-पांच साल पहले डिजिटल कपड़ों का उत्पादन बहुत कम था, जो अब प्रतिदिन पांच से दस लाख मीटर तक हो गया है। मध्यम और बड़े उद्यमी डिजिटल प्रिंटिंग की मशीनें आयात कर रहे हैं। सूरत में लगभग 300 मशीनों पर डिजिटल प्रिंङ्क्षटग हो रही है। यह मशीनें ज्यादातर इटली और चीन से आयात की जाती हैं। इनकी कीमत 50 लाख से तीन करोड़ रुपए तक है। कम्प्यूटर आधारित इन मशीनों को चलाने के लिए प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता है।

फिलहाल लागत ज्यादा

सामान्य प्रिंटिंग की अपेक्षा डिजिटल प्रिंटिंग के लिए कपड़ों पर अलग कलर-केमिकल की आवश्यकता होती है, जो महंगे होते हैं। इसलिए डिजिटल प्रिंङ्क्षटग के बाद कपड़ों की कीमत लगभग दो गुना बढ़ जाती है। हालांकि इस तकनीक में कलर-केमिकल वेस्ट नहीं होता, क्योंकि कम्प्यूटर से कमांड मिलने के बाद जरूरत के हिसाब से कलर का इस्तेमाल होता है। इसमें कई प्रकार के कलर पर भी काम हो सकता है, जो सामान्य प्रिंटिंग में मुश्किल है। उद्यमी कल्पना के मुताबिक डिजिटल प्रिंटिंग से कपड़ों को मनचाहा रूप-रंग दे हैं। विदेशों में इन कपड़ो की मांग ज्यादा होने से सूरत के उद्यमियों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खुल गए हैं।

कम प्रदूषण

&बदलते फैशन को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में डिजिटल प्रिंट के कपड़ों की अच्छी मांग रहेगी। सूरत के उद्यमी इस ओर अग्रसर हो रहे हैं। फैशनप्रिय महिलाएं डिजिटल प्रिंट के कपड़े पसंद करती हैं। इन्हें बनाने में कलर-केमिकल बचता है और प्रदूषण भी कम होता है। आने वाले दिनों में इन कपड़ों का व्यापार अच्छा रहेगा। सुभाष धवन, कपड़ा उद्यमी

बढ़ रही है मांग

&आने वाले दिनों मे डिजिटल प्रिंट की अच्छी मांग रहेगी। इनकी मशीनें महंगी होने से उत्पादन शुल्क ज्यादा होता है, लेकिन जब भारत में मशीन बनेंगी तो लागत कम हो जाएगी। फिलहाल सूरत में लगभग 300 मशीनें हैं। बड़े शहरों में डिजिटल प्रिंट वाले कपड़ों की मांग ज्यादा है। धीरे-धीरे व्यापारी इस ओर बढ़ रहे हैं।सुभाष अग्रवाल, व्यापारी