
सूरत.
जीएसटी के जाल में उलझे छोटे कपड़ा व्यापारियों के लिए दुकान का किराया, स्टाफ और रख-रखाव का खर्च निकालना मुश्किल हो जा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि अब तक उन्होंने जैसे-तैसे व्यापार खींचा, लेकिन ई-वे बिल की समस्या के कारण व्यवसाय बदलना पड़ सकता है।
जीएसटी लागू होने पर छोटे व्यापारियों ने कहा था कि इससे सिर्फ बड़े व्यापारियों को लाभ होगा। यह बात धीरे-धीरे सही साबित हो रही है। जीएसटी लागू होने के बाद छोटे व्यापारियों की हालत बद से बदतर होती गई। सूरत के कपड़ा बाजार में लगभग 70 हजार व्यापारी हैं। इनमें से 90 प्रतिशत छोटे और मध्यम श्रेणी के हैं, जो हर महीने 40 हजार से दो लाख रुपए कमाते हैं। खर्च बढऩे और व्यापार घटने से इनमें से कई व्यापारियों का हालत पतली है। एक सामान्य व्यापारी के हर महीने के खर्च में दुकान भाड़े के 20 हजार, बिजली बिल के पांच हजार, स्टाफ खर्च के 25 हजार और 15 हजार रुपए के अन्य खर्च शामिल हैं। जीएसटी और ई-वे बिल के कारण व्यापार कम हो जाने से उन्हें यह खर्च जुटाने में भी दिक्कत हो रही है। व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी से पहले सिर्फ कच्चा बिल चलने से अन्य राज्यों के छोटे व्यापारी एक-दो पार्सल के ऑर्डर देते थे, जो सरलता से चले जाते थे। जीएसटी और ई-वे बिल अनिवार्य होने से यह व्यापार बंद हो गया। अन्य राज्यों के कई छोटे व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दीं, कई ने अन्य व्यवसाय शुरू कर दिया और कुछ वहीं से माल खरीद लेते हैं। इससे व्यापार लगभग 20 प्रतिशत घट गया। गांवों या छोटे कस्बों में साइकिल, लारी अथवा पैदल साड़ी बेचने वाले हर राज्य के छोटे फेरिए भी सूरत कपड़ा बाजार से साडियां खरीदते थे। उनके लिए भी जीएसटी और ई-वे बिल अनिवार्य होने से सूरत के व्यापारी उन्हें माल नहीं बेच पा रहे हैं। करोड़ों रुपए का व्यापार बंद हो चुका है। इसके अलावा सूरत के व्यापारी पहले अन्य राज्यों से मिले ऑर्डर के अलावा भी कुछ माल भेज देते थे, जो नहीं बिकने पर वापस आ जाता था। ई-वे बिल अनिवार्य होने के कारण यहां के व्यापारी माल नहीं भेज पा रहे हैं। छोटे व्यापारियों को ऑर्डर मिल भी रहे हैं तो वह ई-वे बिल और जीएसटी की ऑनलाइन प्रक्रिया में ही इतने व्यस्त हैं कि उन पर कम ध्यान दे पा रहे हैं। सूरत के व्यापारी जिन राज्यों में माल भेजते हैं, वहां भी छोटे व्यापारी जीएसटी के झंझट में उलझे हुए हैं। इसलिए व्यापार घटा रहे हैं। सूरत के छोटे व्यापारियों के सामने अस्तित्व का सवाल खड़ा हो गया है।
व्यापार घट गया
जीएसटी के कारण व्यापार घट गया था। ई-वे बिल के कारण यह 40 प्रतिशत रह गया है। छोटे व्यापारी के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन और ई-वे बिल संभव नहीं है। ई-वे बिल के कारण फुटकर व्यापार तो समाप्त ही हो गया।
नवीन अग्रवाल, व्यापारी
खर्च निकालना मुश्किल
पहले व्यापारियों को फुटकर व्यापार मिल जाता था, लेकिन छोटे व्यापारियों के पास जीएसटी नंबर नहीं होने से यह व्यापार बंद हो गया। अब व्यापार बड़े व्यापारियों के हाथ में चला गया है। छोटे व्यापारियों के लिए खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
अनिल अग्रवाल, व्यापारी
व्यापारी परेशान
छोटे व्यापारियों से व्यापार छीना जा रहा है। पहले जिस तरह से व्यापार होता था, वह जीएसटी के बाद नहीं रहा। छोटे व्यापारियों के बेरोजगार होने का भय है।
अरुण बंसल, व्यापारी
यह हैं समस्याएं
महीने का 20 हजार रुपए बढ़ा।
नए क्रिएशन के स्थान पर ध्यान रिटर्न फाइल करने में बंटा।
अन्य राज्यों के छोटे व्यापारी रजिस्टर्ड नहीं होने से नहीं बेच पा रहे हैं माल।
100 करोड़ रुपए से अधिक का फुटकर व्यापार बंद।
ई-वे बिल की समस्या के कारण व्यापारी कम माल मंगा रहे हैं।
पहले व्यापारी ज्यादा माल भेजते थे। अब कम ऑर्डर के अनुसार व्यापार हो रहा है।
Published on:
14 Feb 2018 01:00 am
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