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सचिन में ट्रेन की चपेट में आने से 8वीं के दो छात्रों की मौत

शहर के सचिन जीआईडीसी क्षेत्र में रहने वाले आठवीं कक्षा के दो छात्रों की सचिन रेलवे स्टेशन पर ट्रैक पार करते समय लोकल ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। दोनों बच्चे घर से शाम को खेलने के लिए निकले थे और बाद में उनके लापता होने की सूचना पुलिस को दी गई थी। करीब सात घंटे बाद दोनों बच्चों के शव नई सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में मिले। बच्चों के शव देखकर परिवार में कोहराम मच गया।

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सचिन में ट्रेन की चपेट में आने से 8वीं के दो छात्रों की मौत

सचिन में ट्रेन की चपेट में आने से 8वीं के दो छात्रों की मौत

न्यू सिविल अस्पताल और पुलिस के अनुसार, सचिन जीआईडीसी के शिव कॉम्प्लेक्स निवासी प्रिंस राजेश्वर शर्मा (13) और सचिन के आदर्श नगर निवासी लोकेश संतोष यादव (13) की रविवार शाम को सचिन रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म पार करते समय ट्रैक पर लोकल ट्रेन से कटकर मौत हो गई। मृतक दोनों बच्चे प्रिंस और लोकेश सचिन स्लमबोर्ड में वाइब्रेंट इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ते थे। रविवार दोपहर प्रिंस अपने दोस्त लोकेश के साथ साइकिल की चेन बनवाने के लिए घर से निकला था।

साइकिल की चेन बनवाने के बाद उन्होंने साइकिल को पास के गार्डन में रखकर सचिन रेलवे स्टेशन देखने चले गए। यहां दोनों एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए ट्रैक पार कर रहे थे तभी एक लोकल ट्रेन की चपेट में आ गए। बाद में दोनों को न्यू सिविल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। रात तक दोनों बच्चों के घर नहीं लौटे तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की। तलाशी के दौरान उन्हें सचिन स्टेशन के पास किसी ने कहा कि दो बच्चे ट्रेन की चपेट में आए हैं और अस्पताल ले जाया गया है। इसके बाद परिवार न्यू सिविल अस्पताल आया। इमरजेंसी विभाग में किसी ने बताया कि दोनों बच्चों की मौत हो चुकी है।

आखिरकार सात घंटे बाद दोनों बच्चों के शव न्यू सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम से मिले। परिवार को प्रिंस की साइकिल बगीचे के पास से मिली है। पुलिस ने बताया कि मूल रूप से यूपी के रहने वाले प्रिंस के पिता राजेश्वर शर्मा पिछले एक साल से दुबई में कारपेंटर का काम कर रहे हैं। प्रिंस परिवार का एकलौता बेटा था। दो साल पहले पिता बेटे प्रिंस को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए सूरत लेकर आए थे। प्रिंस अपनी मां और छोटी बहन के साथ सचिन जीआईडीसी में रहता था। जबकि लोकेश के दिव्यांग पिता संचा कारखाने में काम करके तीन बच्चों सहित परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। लोकेश सबसे बड़ा बेटा था।