script12 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर में रखी है सिकंदर के जमाने की तलवार | An Ajab Gajab temple and village of india | Patrika News

12 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर में रखी है सिकंदर के जमाने की तलवार

locationभोपालPublished: Dec 12, 2020 02:21:34 pm

गांव के लोगों ऐसी भाषा जो किसी अन्य के समझ में नहीं आती…

Ajab Gajab and Wonderful: a sword in the era of Alexander is kept in this temple

Ajab Gajab and Wonderful: a sword in the era of Alexander is kept in this temple

सदियों से हमारा देश अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए है। यहां तक कि देश में कई ऐसी जगह भी हैं, जिनके कारणों के बारे आज तक वैज्ञानिक भी कुछ नहीं बता पाए, ऐसे तमाम रहस्यों के बारे में जानकर दुनिया हैरान रह जाती है।

एक ऐसी ही जगह हिमाचल प्रदेश में भी है। यहां का एक गांव अपने आप में बेहद ही रहस्यमयी है। गांव के लोग एक ऐसी भाषा में बात करते हैं, जो यहां के लोगों के अलावा किसी को भी समझ में नहीं आती। इस गांव का नाम है-मलाणा। हिमालय की चोटियों के बीच स्थित मलाणा गांव चारों तरफ से गहरी खाइयों और बर्फीले पहाड़ों से घिरा है। करीब 1700 लोगों की आबादी वाला यह गांव सैलानियों के बीच खूब मशहूर है। दुनियाभर से लोग यहां घूमने के लिए आते हैं।

An Ajab Gajab temple and village of india

हालांकि मलाणा तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल है। इस गांव के लिए कोई भी सड़क नहीं है, जिससे लोग आ-जा सकें। पहाड़ी पगडंडियों से होते हुए ही यहां तक पहुंचा जा सकता है।

इस गांव से जुड़े कई अनसुलझे सवाल हैं, जिनमें से एक यह है कि यहां के लोग खुद को यूनान के मशहूर राजा सिकंदर महान का वंशज बताते हैं। कहते हैं कि जब सिकंदर ने हिंदुस्तान पर हमला किया, तो उसके कुछ सैनिकों ने मलाणा गांव में ही पनाह ली थी और फिर वे यहीं के होकर रह गए। यहां के बाशिंदे सिकंदर के उन्हीं सैनिकों के वंशज कहलाते हैं। हालांकि यह अभी तक पूरी तरह से साबित नहीं हुआ है।

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मंदिर में रखी है सिकंदर के जमाने की एक तलवार…
सिकंदर के समय की कई चीजें मलाणा गांव में मिली हैं। कहा जाता है कि सिकंदर के जमाने की एक तलवार भी इसी गांव के मंदिर में रखी हुई है। यहां के लोग कनाशी नामक भाषा बोलते हैं, जो बेहद ही रहस्यमयी है। वे इसे एक पवित्र जुबान मानते हैं। इसकी खास बात यह है कि यह भाषा मलाणा के अलावा दुनिया में कहीं और नहीं बोली जाती। इस भाषा को बाहरी लोगों को नहीं सिखाया जाता है। इसको लेकर कई देशों में शोध हो रहे हैं।

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