मंदिर

बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम, पुरी, यमुनोत्री, द्वारका या फिर गंगोत्री आखिर कौन से हैं असली चार धाम?

Did You Know which are Original Char Dham temples Know the facts: आजकल लोग नाम लेते हैं, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारका और केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को भी चार धाम की यात्रा में शामिल कर लेते हैं। वहीं कुछ लोग इन चार धामों में नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को भी शामिल कर लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं असल में चार धाम कौन-कौन से हैं। पत्रिका.कॉम के इस लेख में हम आपको बता रहे हैं उन असली चार धामों के बारे में वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं...

5 min read
Jun 02, 2023

Did You Know which are Original Char Dham temples Know the facts: सनातन धर्म के ग्रंथों में 33 करोड़ देवी-देवताओं को माना गया है। लेकिन इनमें से कुछ ही देवी-देवता हैं और उनके तीर्थ स्थलों को मान्यता मिली हुई है। वहीं ये ग्रंथ बताते हैं कि इन पवित्र तीर्थ धामों की जो यात्रा कर लेता है, उसके जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं, यानी वह पाप मुक्त हो जाता है। माना जाता है कि चार धामों की यात्रा के बाद व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष मिल जाता है। इसीलिए सनातन धर्म में माना गया है कि प्रत्येक व्यक्ति जो सनातनी है, को अपने पूरे जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा जरूर करनी चाहिए। चारधाम यात्रा को 'चार धाम' की संज्ञा श्री आदि शंकराचार्य ने दी थी।

उन्होंने ने ही इन चार धामों को देश के चारों कोनों में स्थापित किया था। भारत के प्रसिद्ध इन चार धामों को लेकर जैसे ही यह सवाल पूछा जाता है कि चार धाम कौन-कौन से हैं, तो आजकल लोग नाम लेते हैं, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारका और केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को भी चार धाम की यात्रा में शामिल कर लेते हैं। वहीं कुछ लोग इन चार धामों में नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को भी शामिल कर लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं असल में चार धाम कौन-कौन से हैं। पत्रिका.कॉम के इस लेख में हम आपको बता रहे हैं उन असली चार धामों के बारे में वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं...

सबसे पहले जानें क्या है चार धाम तीर्थ यात्रा
सनातन धर्म में तीर्थ स्थलों के दर्शन को विशेष महत्व दिया जाता है। इसीलिए चार धाम यात्रा का भी बड़ा महत्व माना गया है। 'चार धाम यात्रा' का अर्थ है उन चारों विशेष स्थानों बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम और द्वारका धाम के दर्शन करना। इन चार धामों की यात्रा को ही सम्पूर्ण चार धाम यात्रा माना जाता है। और सनातन धर्म में जो व्यक्ति इन चारों धामों की यात्रा कर लेता है उसे वैकुंठ मिलता है।

जानें कौन-कौन से हैं असली चार धाम
ये असली चार धाम हैं
1. बद्रीनाथ
2. पुरी
3. रामेश्वरम
4. द्वारका
इन चार धामों को आज बड़ा चार धाम की यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। इनमें भी यदि हम भारत के सबसे पहले धाम की बात करें, तो आपको बता दें कि बद्रीनाथ इन चार धामों की गिनती में सबसे पहला धाम है। इसके बाद अन्य तीन धामों की स्थापना की गई।

1. बद्रीनाथ
बद्रीनाथ उत्तराखंड राज्य में समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस तीर्थ स्थान पर जाने का सबसे उचित समय मई से अक्टूबर महीने के बीच माना जाता है।

2. पुरी
यह तीर्थ स्थान ओडिशा में स्थापित है। यहां पर जगन्नाथ भगवान का मंदिर है। इस मंदिर में अकेले जगन्नाथ यानी भगवान कृष्ण नहीं बल्कि उनके साथ उनकी बहन सुभद्रा और उनके भाई बालभद्र की भी पूजा-अर्चना की जाती है। 'जगन्नाथÓ शब्द का अर्थ'जगत और नाथÓ, यानी सम्पूर्ण ब्रह्मांड का भगवान। इस मंदिर में स्थापित तीनों देवी-देवताओं की मूर्तियां लकड़ी से बनी हुई हैं। वहीं यहां प्रत्येक बारह साल के बाद लकड़ी की इन प्रतिमाओं को पवित्र पेड़ों से बनाई हुई प्रतिमाओं को एक बड़े उत्सव के साथ बदलने की परम्परा है। पुरी की तीर्थ स्थल की यात्रा करने का सबसे उचित समय अक्टूबर महीने से अप्रैल महीने तक माना गया है।

3. रामेश्वरम्
रामेश्वरम् भगवान शिव का मंदिर है। यह भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् द्वीप पर स्थापित है। सनातन धर्म की एक मान्यता के अनुसार रावण को मारने के बाद ब्राह्मण की हत्या के दोष से मुक्तिपाने के लिए राम ने यहां पर भगवान शिव की आराधना की थी। इसकी प्रतिमा हनुमान जी कैलाश लाए थे। इस तीर्थ स्थल की यात्रा का सबसे उचित और अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल तक रहता है।

4. द्वारका
द्वारिकाधीश का मंदिर भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है। यह भारत के गुजरात राज्य में है। इस मंदिर को सनातन धर्म में मोक्षपुरी के नाम से भी जाना ताता है। इस तीर्थ धाम की यात्रा करने का सबसे उचित समय अक्टूबर महीने से मार्च तक माना जाता है।

यहां जानें आखिर क्या हैं केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री
दरअसल असली चार धाम तो बद्रीनाथ, पुरी, रामेश्वरम और द्वारका ही हैं। लेकिन बद्रीनाथ के साथ ही केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के नाम भी शामिल कर लिए जाते हैं। लेकिन वास्तव में यह छोटे चारधाम तीर्थ स्थल हैं। जहां बद्रीनाथ में भारी भीड़ होने के कारण छोटे चारधाम यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसका उत्तर भारत में होना भी इसका एक महत्वपूर्ण कारण है क्योंकि चारों दिशाओ में अलग अलग धाम की यात्रा करना बहुत कठिन है। इसलिए छोटा चार धाम की तीर्थ यात्रा को भी असली चार धाम की यात्रा जितना ही फल माना गया है। जो लोग देश के चारों कोनों में बसे बद्रीनाथ, पुरी, रामेश्वरम और द्वारका की यात्रा पर जाने में समर्थ नहीं हैं। वे केवल छोटा धाम तीर्थ यात्रा यानी बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा कर सकते हैं। छोटा चार धाम की यात्रा की बात करें तो यहां आने वाले तीर्थ यात्री सबसे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन करते हैं। फिर इन पवित्र नदियों के जल को पात्र में भरकर ले जाते हैं और केदारनाथ शिवलिं पर इस पवित्र जल से जलाभिषेक करते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथजी के दर्शन करते हैं।

1. केदारनाथ - केदारनाथ मंदिर हिमालय के गढ़वाल रेंज पर है। इसके निकट मंदाकिनी नदी बहती है। यहां पर स्थित केदारनाथ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है। यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है। केदारनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। इस मंदिर को अप्रैल और नवंबर में लोगों के लिए खोला जाता है।

2. गंगोत्री - उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। ये ग्रेटर हिमालय पर्वत श्रेणी पर करीब 3100 मीटर पर स्थित है। यह उत्तराखंड में स्थित छोटा चार धाम में से एक धाम है। यही से भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा नदी का उद्गम होता है यानी यहीं से गंगा नदी निकलती है। माना जाता है कि जब शिव ने अपनी जटाओं से शक्तिशाली नदी गंगा को मुक्त किया था, तभी गंगा नदी का अवतरण हुआ। हर साल मई से अक्टूबर के बीच यहां श्रद्धालुओं का सैलाब सा उमड़ता है। मंदिर के कपाट वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया पर खोले जाते है। वहीं कार्तिक महीने में यम द्वितीया तिथि के दिन यह कपाट बंद कर दिए जाता है।

3. यमुनोत्री - यमुनोत्री धाम उत्तराखंड में स्थित छोटा चार धाम में से एक धाम है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हिमालय के गढ़वाल श्रेणी पर 3293 मीटर पर बसा है। यहीं से यमुना नदी निकलती है। यहां स्थित देवी यमुना का मंदिर मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर के कपाट भी गंगोत्री की तरह वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया पर खोले जाते हैं और कार्तिक महीने के यम द्वितीया तिथि पर बंद कर दिए जाते हैं।

Updated on:
02 Jun 2023 05:32 pm
Published on:
02 Jun 2023 05:07 pm
Also Read
View All

अगली खबर