आमेर के अंबिकेश्वर मंदिर के समय के इस प्राचीन मंदिर की माता के ललाट पर सर्प का फन होने से माता की सर्पों की देवी के रुप में भी मान्यता है। भागवत पुराण के 48वें स्कंद में मनसा माता को जगत कारु ऋषि की पत्नी बताया है। इसमें लिखा है कि जब ऋषि पुष्कर तीर्थ गए तब उन्होंने आमेर में विश्राम किया। बाद में इस जगह पर मनसा माता का मंदिर बनाया गया। माता की मूर्ति मानव निर्मित नहीं है। पहाड़ की चट्टान में स्वयं भू-माता के नेत्र, भौंह, ललाट व मुख है। हरियाली से आच्छादित प्राकृतिक स्थान पर कभी सिद्ध महात्मा अड़ानंद ने घोर तपस्या की। उनकी समाधि भी देवी की खोळ में है।