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भगवान शिव के चमत्कारी मंदिर : कहीं हर दिन बदल जाता हैं रंग, तो कहीं बढ़ रहा है आकार

वे 3 मंदिर जिन्हें देख आप भी चकरा जाएंगे...

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sanatan dharma : wonders of hinduism

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सनातन धर्म में देवी देवाओं को उनकी प्रकति के आधार पर सप्ताह के दिनों का कारक देव माना गया है। वहीं आज सोमवार है, और सोम का अर्थ चंद्रमा से होता है। वहीं इसके कारक देव चंद्र को अपने सिर पर धारण करने वाले स्वयं महादेव हैं। ऐसे में आज हम आपको भगवान शिव के मंदिरों से जुड़े कुछ खास चमत्कारों के बारेें में बता रहे हैं। यूं आपने शिवलिंग तो बहुत देखे होंगे लेकिन भारत में ही एक शिवलिंग ऐसा भी है जिसे देखकर एकबारगी तो आप भी चकरा जाएंगे। दरअसल राजस्थान में एक जिला ऐसा भी है जहां स्थित हजारों साल पुराने मंदिर का शिवलिंग अपना रंग बदलता है।

ऐसा अनोखा चमत्कार प्रतिदिन तीन बार होता है। इसके तहत जहां सुबह शिवलिंग का रंग लाल रहता है, वहीं दोपहर में यह केसरिया रंग का हो जाता है, जबकि जैसे-जैसे शाम होती है शिवलिंग का रंग सांवला हो जाता है। यह चमत्कारी शिवलिंग राजस्थन के धौलपुर जिले में स्थित है। धौलपुर जिला राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यह इलाका चम्बल के बीहड़ों के लिए भी प्रसिद्ध है। इन्हीं दुर्गम बीहड़ों के अंदर स्थित है, भगवान अचलेश्वर महादेव का मन्दिर। इस शिवलिंग के चमत्कार का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है।

इस शिवलिंग कि एक अन्य अनोखी बात यह भी है कि इस शिवलिंग के छोर का आज तक पता नहीं चला है। कहते हैं बहुत समय पहले भक्तों ने यह जानने के लिए कि यह शिवलिंग जमीन मे कितना गहरा है, इसकि खुदाई की, पर काफी गहराई तक खोदने के बाद भी उन्हें इसके छोर का पता नहीं चला। अंत में उन्होंने इसे भगवान का चमत्कार मानते हुए खुदाई बंद कर दी।

यूं तो भारत कई चमत्कारिक शिवलिंग हैं, लेकिन इनके अलावा मध्यप्रदेश के देवास जिले के पास बिलालवी में एक शिवमंदिर ऐसा भी है जहां का शिवलिंग प्रतिवर्ष एक तिल बढ़ता रहता है। देवास शहर से करीब सात किलोमीटर दूर स्थित प्राचीन श्री महाकालेश्वर, बिलावली मंदिर की है।

यह मंदिर तीन 300 साल पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि भगवान महाकालेश्वर का यह शिवलिंग प्रतिवर्ष तिल-तिल कर बढ़ता है। भक्तों का मानना है कि यहां सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, देश-प्रदेश से यहां हजारों लोग सावन माह में दर्शन के लिए आते हैं।

इसके अलावा देश में एक शिवलिंग ऐसा भी है जो प्रतिवर्ष बिजली के गिरने से टूट जाता है और पुन: जुड़ जाता है, इसे बिजली महादेव और मक्खन महादेव के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक रहस्यमयी शिव मंदिर है, जिसकी गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा पाया। ऊंची पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर पर पार्वती और व्यास पार्वती और व्यास नदी का संगम भी है। इस मंदिर पर हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरती है, लेकिन इसके बाद भी मंदिर को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता।