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तिरुपति बालाजी से जुड़ीं कुछ खास बातें और साथ ही जानें यहां के नियम

- तिरुपति बालाजी के मंदिर के सारे रहस्यों के जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है।

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Deepesh Tiwari

Aug 21, 2023

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भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद है। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी जी की मूर्ति विराजमान है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। तिरुपति बालाजी के मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य भी हैं जिनका जवाब स्वयं वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है, ऐसे ही 7 रहस्यों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनके बारें में जानकर आप भी अचंभित रह जाएंगे।

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद तिरुपति बालाजी के दरबार में बड़े से बड़े अमीर से लेकर गरीब तक सभी आते हैं। भारत के सबसे अमीर मंदिरों में भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर का नाम आता है। यहां तिरुमाला की पहाडिय़ों में हर साल लाखों की संख्या में लोग भगवान का आशीर्वाद लेने आते हैं।

मान्यता है कि , भगवान तिरुपति बालाजी तिरुमला में अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं। वहीं कोई भक्त यहां सच्चे दिल और श्रद्धा से कुछ मांगता है, तो भगवान विष्णु उसकी हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।

जिस किसी की मनोकामना भगवान पूरी करते हैं, वे मनोकामना पूर्ण होन के पश्चात अपनी इच्छा अनुसार मंदिर में अपने बाल दान करतेे हैं।

ज्ञात हो कि भगवान तिरुपति बालाजी को वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी लोग जानते हैं।

तिरुपति बालाजी- दर्शन नियम
तिरूपति बालाजी मंदिर के सामान्य तौर पर दर्शन सुबह 6.30 बजे से शुरु हो जाते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि जब आप तिरुपति दर्शन करने जाते हैं तो, यहां दर्शन करने के भी कुछ नियम भी हैं।

नियम के अनुसार दर्शन करने से पहले आपको कपिल तीर्थ पर स्नान करके , कपिलेश्वर के दर्शन करने होते हैं। इसके बाद ही वेंकटाचल पर्वत पर जाकर बालाजी के दर्शन करने चाहिए।
वहीं इसके पश्चात देवी पद्मावती के दर्शन करें। यहां ये भी जान लें कि पद्मावती देवी का मंदिर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की पत्नी पद्मावती लक्ष्मी जी को समर्पित है। माना जाता है कि जब तक भक्त इस मंदिर के दर्शन नहीं करते, तब तक आपकी तिरुमला की यात्रा पूरी नहीं होती।

श्री तिरुपति बालाजी का रहस्य- जो आज तक कोई नहीं जान सका

1 - मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक हजारों साल से बिना तेल के जल रहा है। तमाम कोशिशों के बाद भी इसका जवाब आज तक नहीं मिल सका है।

2 - भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मूर्ति पर लगे बाल कभी नहीं उलझते और यह हमेशा मुलायम रहते हैं, माना जाता है कि मूर्ति पर लगे यह बाल असली हैं , हमेशा मुलायम रहने वाले इन बालों के कभी न उलझने को जवाब आज तक वैज्ञानिकों के पास तक नहीं है।

3 - भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की इस मूर्ति को जब आप गर्भगृह को बाहर से देखेंगे तो आपको मूर्ति दाई ओर दिखाई देती है वहीं जब आप इस मूर्ति को गर्भगृह के अंदर से देखते हैं तो यह मध्य में दिखाई देती है, ऐसे में ये मूर्ति बीच में है या दाई ओर है यह भी आज तक रहस्य बना हुआ है।

4 - तिरुपति बालाजी के मंदिर के गर्भगृह को सदैव ठंडा रखा जाता है, लेकिन इसके बाद भी यहां मौजूद मूर्ति का तापमान 110 फॉरेनहाइट रहता है। यह काफी रहस्यमई स्थिति है और इससे भी विशेष बात ये है कि भगवान मूर्ति को पसीना भी आता है जिसे पुजारी समय-समय पर पोछते भी रहते हैं।

5 - तिरुपति बालाजी के मंदिर की मूर्ति पर परचाई कपूर भी लगाया जाता है, लेकिन इसके बावजूद मूर्ति पर कोई असर नहीं होता। जबकि परचाई कपूर एक ऐसा कपूर होता है जिसे किसी भी पत्थर में लगाने पर वह पत्थर कुछ ही समय में चटक जाता है।

6 - तिरुपति मंदिर की एक और खास बात ये है कि यहां भगवान की मूर्ति से समुद्र की लहरों की आवाज आती है, इसके लिए भगवान वेंकटेश्वर के मूर्ति के कानों के पास ध्यान से सुनने पर समुद्र की लहरों की आवाज आती है।

7 - तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान के लिए मंदिर से करीब 23 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव से ही फूल, फल, घी आदि लाया जाता है, खास बात ये है कि इस गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक है, वहीं आज भी इस गांव के लोग काफी पुरानी जीवन शैली अपनाते हैं।

दर्शन के लिए ड्रेस कोड व नियम-
श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के बाहरी परिसर तक ही आप अपना मोबाइल ले जा सकते हैं, कारण ये है कि मंदिर के अंदर सुरक्षा कारणों से मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है। आप यहां बाहर ही अपना मोबाइल जमा करा सकते हैं।

इसके अलावा यहां टिकट लेकर , जल्दी दर्शन वाली लाइन में लगते समय एक ड्रेस कोड भी है। जिसके तहत श्रद्धालु जींस, टी-शर्ट, शॉट्र्स और स्कर्ट पहनकर यहां नहीं आ सकते। ऐसे में दर्शन के लिए उन्हें केवल पारंपरिक कपड़े पहनकर ही मंदिर परिसर के अंदर आने की अनुमति मिलती है। पुरुषों के पास कुर्ता-पायजामा पहनने का विकल्प होने के अलावा ड्रेसकोड जो रखा गया है उसमें वह मंदिर में धोती-कुर्ता, लुंगी और कंडुआ ( कंधों और ऊपरी शरीर को ढकने के लिए वस्त्र ) है।
जबकि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश के लिए साड़ी या सलवार-कमीज पहनना आवश्यक है।