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महाशिवरात्रि : महमूद गजनवी ने इस शिवलिंग पर खुदवाया था कलमा, अब दोनों समुदाय एक साथ करते हैं प्रार्थना

जितनी गहराई तक खुदवाता, शिवलिंग उतना ही बढ़ता जाता...आज यह मंदिर है साम्प्रदायिक सौहार्द की एक मिसाल...

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Temple of lord shiv where kalma is also abalable

Temple of lord shiv where kalma is also abalable

गोरखपुर से 25 किमी दूर खजनी कस्‍बे के पास एक गांव है सरया तिवारी, यहां पर महादेव का एक अनोखा शिवलिंग स्‍थापित है जिसे झारखंडी शिव कहा जाता है। लोगों का मानना है कि शिव के इस दरबार में जो भी भक्‍त आकर श्रद्धा से मनोकामना करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

मान्‍यता है कि यह शिवलिंग कई सौ साल पुराना है और यहां पर इनका स्वयं प्रादुर्भाव हुआ है। यह शिवलिंग हिंदुओं के साथ मुस्लिमों के लिए भी उतना ही पूज्‍यनीय है, क्योंकि इस शिवलिंग पर एक कलमा (इस्लाम का एक पवित्र वाक्य) खुदा हुआ है।

लोगों के अनुसार महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी, मगर वह सफल नहीं हो पाया। बताया जाता है कि उसने महादेव के इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की, जिससे इसके नीचे छिपे खजाने को निकाल सकें।

यहां के लोगों के अनुसार गजनवी ने इसके नीचे छिपे खजाने को निकालने के लिए जितनी गहराई तक इसे खुदवाता गया,शिवलिंग उतना ही बढ़ता गया। कहते हैं कि इस दौरान शिवलिंग को नष्ट करने के लिए कई वार भी किए गए, हर वार पर रक्त की धारा निकल पड़ती थी।

इसके बाद गजनबी के साथ आये मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ही महमूद गजनबी को सलाह दी कि वह इस शिवलिंग का कुछ नहीं कर पायेगा और इसमें ईश्‍वर की शक्तियां विराजमान हैं, तो गजनवी ने यहां से कूच करने में ही अपनी भलाई समझी। लेकिन जाते जाते उसने मंदिर को ध्‍वस्‍त कर दिया, परंतु शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ। जब गजनवी थक-हार गया, तो उसने शिवलिंग पर कमला उर्दू में 'लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह' खुदवा दिया, जिससे हिन्‍दू इसकी पूजा नहीं कर सकें।

तब से आज तक इस शिवलिंग की महत्ता और अधिक बढ़ती गई और हर साल सावन के महीने में यहां पर हजारों भक्‍तों द्वारा पूजा अर्चना किया जाता है।

आज यह मंदिर साम्प्रदायिक सौहार्द का एक मिसाल बन गया है, क्योंकि हिन्दुओं के साथ-साथ रमजान में मुस्लिम भाई भी यहां पर आकर अल्लाह की इबादत करते हैं।

मान्यता है कि यह एक स्वयंभू शिवलिंग है। ऐसे में शिव के इस दरबार में जो भी भक्‍त आकर श्रद्धा से कामना करता है, उसे भगवान शिव जरूर पूरी करते हैं।

पुजारी, शहर काजी और श्रद्धालु के मुताबिक इस मंदिर पर कई कोशिशों के बाद भी कभी छत नहीं लग पाई है। यहां के शिव खुले आसमान के नीचे रहते हैं।

मान्‍यता है कि इस मंदिर के बगल मे स्थित पोखरे के जल को छूने से एक कुष्‍ठ रोग से पीड़ित राजा ठीक हो गए थे। तभी से अपने चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिये लोग यहां पर पांच मंगलवार और रविवार स्‍नान करते हैं और अपने चर्म रोगों से निजात पाते हैं।