मां दुर्गा navdurga के रूप में कात्यायनी देवी के यहां प्रकट होने का प्रमाण स्कंद पुराण skand puran में मौजूद है। वहीं जिस जगह उनके धरती में प्रकट होने की बात सामने आती है, वहीं एक प्रसिद्ध मंदिर मौजूद होने के साथ ही विश्व की सबसे ज्यादा ताकत होने का प्रमाण खुद नासा तक दे चुका है।
दरअसल देवभूमि उत्तराखंड में अल्मोड़े के पास आज भी एक पहाड़ मौजूद है माना जाता है कि यहां स्वयं ma katyayni मां कात्यायनी प्रकट हुईं और उन्होंने शुंभ निशुंभ नामक दानवों का वध किया। इसका प्रमाण स्कंद पुराण में भी है, इतना ही नहीं यहां उनके साथ उनकी सवारी शेर के प्रकट होने के भी सबूत मिलते हैं।
दरअसल ये पहाड़ कोई दूसरा नहीं बल्कि अल्मोड़ा जिले में स्थित कसारदेवी kasar Devi का स्थान है। इस मंदिर की ‘असीम’ शक्ति से नासा nasa के वैज्ञानिक भी 2012 में हैरान रह गए। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूप से इस जगह के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर चुके हैं, लेकिन आज तक इसका कारण पूरी तरह से उनकी भी समझ के परे बना हुआ है।
लोगों के अनुसार जब उन्होंने यहां जांच की तो वे भी इस बात को देखकर आश्चर्य में पड़ गए कि सबसे मुख्य चुंबकीय किरणें यहां kasar devi मंदिर से ही फैलती हैं। कसार देवी मंदिर और उसके आस-पास के क्षेत्र के विशेष navratra चुम्बकीय शक्तियों की वजह से ध्यान और तप के लिये विशेष तवज्जो दी जाती है।
: नासा वैज्ञानिक इस बात से भी अचंभित रहे कि ऐसी चुंबकीय किरणें कसार पर्वत को छोड़ दें, तो पूरे हिमालय में कहीं नहीं हैं।
: इस मंदिर के अंदर मोबाइल या टैबलेट जैसे डिवाइस काम नहीं करते, वहीं बाहर की आवाज भी यहां सुनाई नहीं देती।
: सबसे खास बात ये कि यहां जो चुंबकीय शक्ति निकलती है वह पॉजीटिव एनर्जी देती है।
: कहा जाता है कि इस जगह का रहस्य हजारों साल पुराना है।
: स्कंद पुराण में ये वर्णन है कि यहां मां दुर्गा ने अवतार लिया था। जिन्हें कुछ भक्त कौशिकी या कात्यायनी भी मानते हैं।
: इसी कसाय पर्वत पर मां दुर्गा ने शुंभ निशुंभ का वध किया था।
: यहां मां दुर्गा अपने कात्यायनी के रूप मे शेर पर सवार होकर प्रकट हुईं थीं।
: इस देवी का रहस्य किसी के भी पास नहीं है।
: कोसी नदी के पास स्थित है कसाय पर्वत में है ये कसार देवी का मंदिर।
: यहां देवनागरी लिपि में लिखी हुई एक पट्टिका भी मिली है जो इसके अति प्राचीन होने की गवाही देती हैं।