जतारा मदन सागर तालाब अपना अस्तिृत्व खो रहा है। घरों से निकलने वाली नालियों का पानी तालाब में जा रहा है। ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाब पर ध्यान नहीं देने से जलकुंभी ने कब्जा जमा लिया है।
टीकमगढ़. जतारा मदन सागर तालाब अपना अस्तिृत्व खो रहा है। घरों से निकलने वाली नालियों का पानी तालाब में जा रहा है। ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाब पर ध्यान नहीं देने से जलकुंभी ने कब्जा जमा लिया है। बारिश के अनुसार तालाब का भराव भी नहीं हुआ है। जबकि मदन सागर से क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का लाभ मिलता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि जतारा में ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाब है, यहां के राजा मदन वर्मा ने अपने शासनकाल में जतारा की जनता को पानी उपलब्ध कराने के लिए निर्माण कराया था, लेकिन कुछ सालों से बारिश कम हो रही है और पानी के रास्तों को भी बंद कर दिया गा है। कुछ वर्ष पहले तालाब में पानी २० फुट रहता था आज आधा भी नहीं हो पाया है।
जलकुंभी ने जमाया कब्जा
विगत सालों से नगर की नालियों का खराब पानी तालाब में पहुंचने लगा है। जिससे तालाब का पानी दूषित होने लगा है। इस दूषित पानी के कारण जलकुंभी ने कब्जा कर लिया है। यह पानी नहाने योग भी नहीं बचा है। जबकि क्षेत्र का एक मात्र तालाब है। इसी के पानी से रबी सीजन की फसलों की सिंचाई की जाती है।
सरकार का सपना कैसे होगा साकार
प्रदेश सरकार द्वारा जल स्त्रोतों को बचाने और उसकी सुंदरता पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा उस दिशा में कार्य नहीं किया जा रहा है। पिछले वर्षों की तुलना में तालाब आधा नहीं भर पाया है। अगर तालाब नहीं भरा तो क्षेत्र जल स्तर गिर जाएगा। जिससे आगामी दिनों में पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा।
इनका कहना
ऐतिहासिक तालाब में गंदा पानी नालियों के माध्यम से पहुंच रहा है। जिसकी रोकथाम को लेकर नगर परिषद और एसडीएम कार्यालय के अधिकारियों को करनी चाहिए। तालाब की सुरक्षा को लेकर दोनों अधिकारियों के नाम पत्र भी लिख चुका हूं।
रामकुमार गुप्ता, अध्यक्ष सिंचाई समिति जतारा।