जरूरत मंद परिवारों को धुआं रहित घर देने की उज्जवला स्कीम आंकडे और सत्यापन में उलझकर रह गई
अखिलेश लोधी,टीकमगढ़. जरूरत मंद परिवारों को धुआं रहित घर देने की उज्जवला स्कीम आंकडे और सत्यापन में उलझकर रह गई है। फरवरी माह की समाप्ति तक 90 हजार नि:शुल्क गैस कनेक्शन बांटने का दावा किया जा रहा है। लेकिन पत्रिका ने जब हकीकत को जाना तो सामने आया कि जिले में फरवरी के दूसरे सप्ताह तक केवल 1 लाख के करीब परिवारों का अब तक सत्यापन ही लक्ष्य के विपरीत हो पाया है। इसके बाद भी जिले में हजारो जरूरतमंद परिवार घरों में चूल्हा फूंककर दावों का धुआं निकल रहा है।
केेंद्र सरकार ने 2011 में किए गए आर्थिक एवं जातीय आधार के संाख्यिकी सर्वे के आधार पर जरूरतमंद परिवार को गैस कनेक्शन देने की स्कीम शुरू की थी। पर्यावरण संरक्षण और जरूरत मंद परिवारों को धुंए से मुक्त करना योजना का उद्देश्यहै। लेकिन बल्देवगढ़ जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत राजगनर और जनपद टीकमगढ की ग्राम पंचायत भैरा में एसईसीसी डाटा की सूची में भैरा के आने वाले हितग्राही जसरथ यादव, कल्लू पाल,बबलू पाल,मनीराम यादव,बृजबाई लोधी,हल्की राजा,मीरा लोधी ,ग्राम पंचायत कैलपुरा की नंदू रैकवार, भगोदा रैकवार,सग्गू,पार्वती लोधी, रामप्यारी लोधी और राजनगर के बाबाबाई यादव,सविता यादव,सुदर यादव के अलावा अनेक हितग्राही उज्जवला योजना का लाभ लेने के लिए पंचायत से लेकर जिला तक आवेदन दे चुके है ,लेकिन उनका उज्जवला योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। ज्यादातर परिवार सत्यापन के फेर में उलझने के कारण टंकी से वंचित है।
एक वर्षपहले आया संदेश, कनेक्शन अब तक नहीं
हितग्राही जशरथ यादव, कल्लू पाल,बबलू पाल ने बताया कि हमारे मोबाईल पर एक साल पहले एक संदेश आया था। फार्म का सत्यापन भी हो गया। गैस सिलेडरों के वितरित होने की जानकारी लेने के लिए गैस एजेसियों पर जाते हैं तो जिम्मेदारों द्वारा कोई जानकारी नहीं दी जाती है। हमेशा टाल कर भगा दिया जाता है।
40% नहीं कर रहे उपयोग
प्रत्येक घर में गैस और हर घर में रोशनी करने वाले सरकारी दावे जिला मुख्यालय की झोपडियों में दम तोडते नजर आ रहे है। नगर के अयोध्या वस्ती में 6 0 % से ज्यादा परिवार आज भी चूल्हे की रोशनी पर खाना बन रहा है। विभाग और गैस एजेंसी संचालकों का कहना है कि जिले में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना चालू होने के बाद भी 40% ही उपयोग कर पा रहे है। जिसके कारण आज भी गांव की महिलाएं धुए में आंसू बहा रही है। जिससेकईबीमारी का सामना करना पड रहा है।
योजना का लाभ लेने कई बार किए आवेदन
देवरदा निवासी कमला चढ़ार,विमलेश बानो, सितारा बानो,फूल देवी चढ़ार, रज्जी चढ़ार और हटा निवासी अठठू आदिवासी, मोहन आदिवासी, नत्थू, काशीराम और राजकुमार आदिवासी ने बताया कि करीब एक साल से उज्जवला योजना के तहत मिलने वाले सिलेंडर के लिए क्षेत्रीय कार्यालय और जिला कार्यालय के चक्कर लगा चुके है। लेकिन आज तक उज्जवला योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। उनका कहना था कि आदिवासी तबके के आने वाले मजदूर वर्ग के लोगों को कच्ची झोपडियों में रहना पड़ रहा है। चुनाव के समय वोट तो सभी देने जातेहै। लेकिन इनकी झोपडियां आज भी गैस का इंतजार कर रही है।
नहीं मिला पा रहे नाम
सामाजिक आर्थिक एवं जातीय सर्वेक्षण एसईसीसी 2011 में परिवारों के नाम नहीं मिलने से उज्जवला स्कीम खटाई में पड़ गई है। प्रशासन और गैस कम्पनियां भी कई बार योजना के तहत महिलाओं को उज्जवला स्कीम के तहत गैस सिलेंडर देना चाहती है। लेकिन एसईसीसी में नाम न होने से योजना लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रही है। जिससे विभाग सहित जरूरत मंद परिवारों को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है।
योजना में मिलने वाले सिलेडऱों में नहीं मिल रही सब्सिडी
समर्रा निवासी मानकुंवर,बृजलाल लोधी और छोटू रजक का कहना हैकि योजना का लाभ मिल गया। लेकिन सब्सिडी नहीं मिल पा रही है। गैस एजेंसी पर आधार और ,बैंक खाता नम्बर दो बार दे चुके है। इसके बाद भी सब्सिडी नहीं मिल पा रही है। जिसके कारण ढाई से तीन सौ रूपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
योजना का उद्देश्य
चूल्हा जलाने में ईधन के लिए लकड़ी,सूखी घास का उपयोग होता है। इससें मानव स्वास्थ्य में संबंधी खतरा रहता है। इसकी रोकथाम करना है। जरूरतमंद परिवार चूल्हा जलाने के लिए ईधन एकत्रित करने जंगलों और घरों से दूर जाते है। इस भागदौड़ की रोकथाम। धुएं के कारण घर में हानिकारक गैसों का दबाब बन जाता है। इससे दमा रहित आंखों का संक्रमण,एलर्जी और खुजली की संभावना,इनसे परिवारों को बचाना। जिले के छह विकासखण्डों में कई जरूरत मंद परिवार निवासरत है। कई घरों में अब भी चूल्हा ही फूका जा रहा है।
ये होगा फायदा
ईधन में लकड़ी का उपयोग रूकने से स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाव होगा। दूर से ईधन जमा करने की परेशानियों से छुटकारा मिलेगा और घर धुआं रहित रहेगा। एक बार चूल्हे पर खाना बनाने में 400 सिगरेटो के धुओं के बराबर महिला की सांसों के द्वारा धुआ शरीर में जाता है। इससे बीमारी का खतरा बना रहता है। उज्जवला योजना के तहत जरूरतमंद परिवार को 156 3 रूपए जमा कर भरा हुआ एक सिलेंडर,एक चूल्हा,एक रेग्यूलेटर और एक सुरक्षा पाइप दिया जाता है। वहीं हितग्राही द्वारा राशि को जमा नही किया जाता है तो उसके दस्तावेजों पर शासन गैस कनेक्शन सहित सामान लेने के लिए लोन दे देता है। लोन की राशि उसकी सब्सिडी में कटती जाएगी।
2018 तक उज्जवला योजना एसईसीसी डाटा का लक्ष्य - 159000
जिले की कुल ग्राम पंचायतें - 46 9
जिले में कुल उज्जवला योजना के कुल फार्म - 108 000
जिले में कुल उज्जवला योजना के स्वीकृत कुल फार्म - 100000
जिले में वितरण किए गए सिलेंडर - 90000
टीकमगढ़ नगर में कुल गैस कनेक्शन - 35000
श्रीगिरराज गैस एजेंसी उपभोक्ता - 14 200
अमन गैस एजेंसी उपभोक्ता - 8 56 6
श्री हरी निर्मल एजेंसी उपभोक्ता - 426 0
उज्जवला योजना के तहत केेंद्र सरकार द्वारा 2011 में किए गए आर्थिक एवं जातीय आधार के सांख्यिकी सर्वं की सूची में उन्हीं परिवारों को गैस कनेक्शन दिया जाएगा जो एसईसीसी डाटा की सूची में आते है। जिन हितग्राहियों को योजना का लाभ नहीं मिला है उन्हें चिन्हित कर जल्द ही लाभ दिया जाएगा।
एस के तिवारी जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी टीकमगढ़।