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उलटे बांस बरेली को

टोंक. जिले की सभी मण्डियों में जहां सरसों की बम्पर आवक हो रही है, वहीं सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद के आदेश देकर 'उल्टे बांस बरेली कोÓ वाली कहावत को चरितार्थ किया है। किसानों समेत जनप्रतिनिधि भी सरकार से समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद शुरू करने की मांग कर रहे हैं।

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टोंक कृषि मण्डी में पड़ी बोरियां व लगे जिंस के ढेर।


टोंक. जिले की सभी मण्डियों में जहां सरसों की बम्पर आवक हो रही है, वहीं सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद के आदेश देकर 'उल्टे बांस बरेली कोÓ वाली कहावत को चरितार्थ किया है। किसानों समेत जनप्रतिनिधि भी सरकार से समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद शुरू करने की मांग कर रहे हैं। इसके बाद भी गेहूं खरीद के निर्देश जारी किए हैं।
इससे प्रशासन ने एक अप्रेल से जिले में इसके खरीद की तैयारी शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि जिले में ढाई लाख हैक्टेयर में सरसों तथा मात्र 72 हजार हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई थी।
गेहूं का समर्थन मूल्य 1625 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। मण्डी में धान की आवक फिलहाल मंदी है। मण्डी में शनिवार को 90 गेहूं की बोरियों के मुकाबले 10 हजार से अधिक सरसों की बोरियां पहुंची।
टोंक मण्डी में अब तक दो हजार बोरी गेहूं व पौने दो लाख बोरी सरसों की आवक हो चुकी है।

गेहूं घर में, सरसों ला रहे मण्डी
जिले में अभी तक किसान धान की कटाई में ही लगे हैं। जबकि सरसों खलिहान से सीधे मण्डी ला रहे हैं। देखने में भी आ रहा है कि जिन क्षेत्रों में किसानों ने धान निकाल लिया वे उसे अभी घर ही ले जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि धान का तो वैसे भी खुले में भी ठीक भाव रहता है। ऐसे में बेचने में अधिक दिक्कत नहीं होती।

सरसों में लग रही चपत
समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद शुरू नहीं होने से जिले के किसान संकट में है। स्थिति यह है कि उन्हें 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा है। किसानोंं समेत जनप्रतिनिधियों भी कहना है कि गेहूं खरीद के स्थान पर इन दिनों समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद की अधिक आवश्यकता है। मण्डी अधिकारियों के मुताबिक एक मार्च से अब तक जिले में साढ़े 4 लाख बोरियां मण्डी पहुंच चुकी है। इनमें पौने दो लाख बोरियों की आवक टोंक मण्डी में हुई है। प्रति बोरी किसानों को औसतन ढाई सौ रुपए प्रति क्विंटल का घाटा उठाना पड़ रहा है।

उपजानुसार खरीदें
उत्पादन के मुताबिक समर्थन मूल्य पर खरीद करनी चाहिए। जिससे कि किसानों को जिंस का उचित मूल्य मिल सके।
-श्योराज यादव, मेहंदवास

औचित्य क्या
समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद मार्च की शुरुआत में ही कर देनी चाहिए। अब तो अप्रेल शुरू होने वाला है।
-जितेन्द्र सिंह, सीतारामपुरा

ऐसे कैसे बनेगा सरसों प्रदेश
सरसों के उत्पादन को देखते हुए एक ओर जिम्मेदार जनप्रतिनिधि राज्य को सरसों प्रदेश बनाने का दावा कर रहे है, वहीं सरसों के स्थान पर गेहूं खरीद की तैयारी करना न्याय संगत नहीं है।
-बजरंगलाल जाट, निवासी वजीरपुरा