
निवाई. आजादी से पहले का निर्मित वनस्थली-निवाई रेलवे स्टेशन फुट ब्रिज के अभाव सहित कई अव्यवस्थाओं का शिकार है।
निवाई. आजादी से पहले का निर्मित वनस्थली-निवाई रेलवे स्टेशन फुट ब्रिज के अभाव सहित कई अव्यवस्थाओं का शिकार है। लोगों ने बताया कि निवाई रेलवे स्टेशन आजादी से पहले निर्मित हो गया था। 1935 में वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना हुई।
उसके बाद देश आजाद होने पर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री के प्रयासों से निवाई रेलवे स्टेशन का नाम वनस्थली-निवाई रेलवे स्टेशन घोषित किया गया, जो अव्यवस्थाओं का शिकार हो रहा है। स्टेशन पर तीन लाइन प्लेटफार्म है, जिन पर रोजाना दर्जनों गाडिय़ां दौड़ती है।
यहां करीब 2000 से अधिक यात्री यहां से प्रतिदिन आते-जाते है। यात्रियों को एक से दूसरे व तीसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए फुट ब्रिज के अभाव में अपनी जान जोखिम में डालकर पटरियों पर से गुजरना पड़ता है।
फुट ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू तो हो गया, लेकिन ठेकेदारों की लापरवाही व उदासिनता के चलते कई महिनों से बंद पड़ा हुआ है। इसके लिए स्थानीय रेलवे प्रशासन एवं सांसद सुखबीसिंह जौनापुरिया द्वारा उच्चाधिकारियों को पत्र लिखने के बाद भी निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है।
रेलवे स्टेशन पर बनी कैन्टिन बंद पड़ी हुई है। कोच डिस्पले का अभाव है। स्टेशन पर पार्किंग व्यवस्था नहीं होने से वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रेलवे स्टेशन अधीक्षक अशोक अग्रवाल का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर नियमित सफाई होती है एवं बीच में ओवर ब्रिज का कार्य बंद हो गया है, जो अभी चालू है।
इनका ठहराव नहीं होने से होती है परेशानी
वनस्थली निवाई रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली सुपरफास्ट ट्रेनों में जयपुर-मुम्बई, जयपुर-चैन्नई, जयपुर-मैसूर, जयपुर-अरूणाकुलम, जयपुर-कोयम्बटूर, जयपुर-बांदरा एवं जयपुर-इन्दौर का ठहराव नहीं होने से जिले के सभी लोगों सहित विद्यापीठ की छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
उक्त सुपरफास्ट ट्रेनों के ठहराव के लिए जनप्रतिनिधियों व विद्यापीठ के कार्यकर्ताओं ने कई बार रेल मंत्री व प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग भी की है, लेकिन उसके बावजूद भी सुपरफास्ट ट्रेनों का ठहराव नहीं हो रहा है। जिसके चलते इन ट्रेनों से सफर करने के लिए जयपुर जाकर बैठना व उतरना पड़ता है।
Published on:
01 Jul 2018 08:14 am
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