आवारा एवं दूध देना बंद करने पर लालची पशुपालक की ओर से छोड़े मवेशी भूख-प्यास से बेहाल हो झुंड में गांव-कस्बे व शहरों के चौराहे, गलियों में घूमते व राज्य राजमार्ग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग के डिवाइडर एवं चौराहों पर बैठे दिखाई देते है। इसके चलते वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार में अलग से गठित गोपालन मंत्रालय के विभाग में वार्षिक बजट आवंटन के बावजूद शहर, कस्बा, गांव कि गली, सडक़, चौराहा सहित राष्ट्रीय राजमार्ग के डिवाइडर पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा रहता है। हालात यह है इन मवेशियों की चहलकदमी एवं झगड़ों से आए दिन दुपहियां, चौपहियां एवं पैदल राहगीर दुर्घटनाएं हो रही है।
रात के समय सडक़ के बीचोंं-बीच मवेशियों के बैठने से खतरा अधिक बढ़ जाता है। उल्लेखनीय है कि आवारा एवं दूध देना बंद करने पर लालची पशुपालक की ओर से छोड़े मवेशी भूख-प्यास से बेहाल हो झुंड में गांव-कस्बे व शहरों के चौराहे, गलियों में घुमते व राज्य राजमार्ग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग के डिवाइडर एवं चौराहों पर बैठे दिखाई देते है। इस दौरान उनकी चहलकदमी एवं झगड़े से हमेशा दुर्घटना का भय रहता है। भूख-प्यास से बैहाल मवेशी चारा-पानी की तलाश में खेतों तक पहुंच जाते है और वहां फसलों को तबाह कर देते है।
इन जगहों पर हालात खराब
गौरतलब है कि कि कोटा-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 52 के पनवाड़, सिरोही पुलिया, पोल्याड़ा, धांधोली, संथली, सरोली, नयागांव (रानीपुरा), भरनी, छान, मेहन्दवास बायपास सहित सरोली-सवाईमाधोपुर व सरोली-बंूदी वाया दूनी से गुजर रहे राज्य राजमार्ग के चौराहों एवं डिवाइडरों पर जगह-जगह सुबह से शाम व फिर रात को आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। ऐसे में आए दिन दुपहियां, चौपहियां वाहनों के दुर्घटना का अंदेशा तो बना रहता है चौराहों से गुजरने वाले राहगीरों, यात्रियों सहित आमजन को भी दुर्घटना का भय रहता है।