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Tonk: पुलिसकर्मी की हत्या मामले में कोर्ट का फैसला, आरोपियों को किया दोषमुक्त; एक आरोपी को आर्म्स एक्ट में सजा

जिला न्यायाधीश अय्युब खान ने दो वर्ष पूर्व बरोनी थाने के पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या के बहुचर्चित मामले में फैसला सुनाते हुए दोनों आरोपियों को हत्या के आरोप से दोषमुक्त किया।

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टोंक

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Anil Prajapat

Dec 19, 2025

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कोर्ट। पत्रिका फाइल फोटो

टोंक। जिला न्यायाधीश अय्युब खान ने दो वर्ष पूर्व बरोनी थाने के पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या के बहुचर्चित मामले में फैसला सुनाते हुए दोनों आरोपियों को हत्या के आरोप से दोषमुक्त किया। न्यायालय ने आरोपी फैसल खान को बिना लाइसेंस टोपीदार बंदूक रखने के आरोप में आयुध अधिनियम के तहत दोषी मानते हुए दो वर्ष के साधारण कारावास और 25 हजार रूपए अर्थदंड से दंडित किया।

मामले के अनुसार 25 जनवरी 2024 को बरोनी थाने के सहायक उप निरीक्षक सीताराम, चालक लेखराज, और पुलिसकर्मी शिवराम व सत्येन्द्र सिंह थाने से गश्त पर रवाना हुए थे। मुखबिर से जेबाडिया बांध में कुछ लोगों की ओर से अवैध हथियारों से शिकार करने की सूचना मिली थी। इस दौरान आरोपी फैसल खान पुत्र अजीज अहमद निवासी अलीगंज बावड़ी टोंक ने पुलिसकर्मी सत्येन्द्र सिंह पर गोली चला दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल पुलिसकर्मी को इलाज के लिए एसएमएस अस्पताल जयपुर रेफर किया गया, जहां उनका ऑपरेशन हुआ, लेकिन इसी दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

16 गवाहों के हुए बयान

संबंधित मामले में जावेद अहमद और फैसल खान को गिरफ्तार किया गया। अभियोजन पक्ष ने घटना स्थल, फोरेंसिक जांच रिपोर्ट और 16 गवाहों के बयान न्यायालय में प्रस्तुत किए। वहीं, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि मृतक पुलिसकर्मी और अन्य साथियों ने आरोपी को जबरन वाहन में बैठाने का प्रयास किया, जिसका विरोध करना कानूनन अपराध नहीं है। घटना स्थल आरोपी की निजी जमीन होने के कारण वह अपने खेत में जाने का अधिकार रखता था।

बिना लाइसेंस बंदूक रखने के अपराध में दोषी ठहराया

न्यायालय ने माना कि पुलिस द्वारा आरोपियों को वाहन में बैठाने के प्रयास के दौरान विरोध और छीना-झपटी के दौरान गोली स्वतः चलने की संभावना थी। इस आधार पर दोनों आरोपियों को हत्या और राजकार्य में बाधा के सभी आरोपों से दोषमुक्त किया। केवल फैसल खान को बिना लाइसेंस बंदूक रखने के अपराध में दोषी ठहराया गया। दोनों आरोपी पिछले 23 माह से जेल में बंद थे। जावेद अहमद को तुरंत रिहा किया गया, जबकि फैसल खान को शेष अवधि की सजा पूरी करने हेतु जिला कारागृह टोंक भेजा गया।